**भाजपा – कांग्रेस की राज्य सरकार के गलत नीतियों के चलते ,उच्च न्यायालय के a आदिवासी समाज आरक्षण 32%से 20%के आदेश के विरोध में सर्व आदिवासी समाज के जनाक्रोश रैली का, बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के नेता नवनीत चांद ने दिया समर्थन -भरत काश्यप* *बस्तर सम्भाग ,जगदलपुर से * *तेज़ नारायण सिंह की रिपोर्ट,,,*

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**भाजपा – कांग्रेस की राज्य सरकार के गलत नीतियों के चलते ,उच्च न्यायालय के a आदिवासी समाज आरक्षण 32%से 20%के आदेश के विरोध में सर्व आदिवासी समाज के जनाक्रोश रैली का, बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के नेता नवनीत चांद ने दिया समर्थन -भरत काश्यप*

*बस्तर सम्भाग ,जगदलपुर से *
*तेज़ नारायण सिंह की रिपोर्ट,,,*

**आदिवासी समाज का आरक्षण 32% से 12% होना,भाजपा व कांग्रेस की आदिवासी विरोधी नीति का प्रमाण,तो बस्तर के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का पार्टी के प्रादेशिक हाई कमान के आदिवासी विरोधी फैसला प्रति खामोशी,तो वही समाज के प्रति कर्तव्यों में बरती गई उदासीन रवैया का उदाहरण -नवनीत चांद*

**बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा के मुख्य संयोजक एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के बस्तर जिला अध्यक्ष नवनीत चांद के नेतृत्व में मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों द्वारा सर्व आदिवासी समाज द्वारा भाजपा कांग्रेस की आदिवासी विरोधी नीति के चलते निर्धारित 32% आरक्षण पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पुनः 20% किए जाने के विरोध में बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में आयोजित जन आक्रोश रैली में शामिल हो उनकी मांगों समर्थन करते हुए, उच्च न्यायालय के आदेश के लिए ,भाजपा व कांग्रेस की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए ,दोनों पार्टियों को आदिवासी विरोधी नीति का पिछले दरवाजे से समर्थन करने वाली पार्टी घोषित किया। बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा के मुख्य संयोजक एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के बस्तर जिला अध्यक्ष नवनीत चांद ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा व कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा आदिवासियों के अधिकारों का हनन कर शोषण करने का कार्य किया है। इसका जीता – जागता उदाहरण उच्च न्यायालय द्वारा दोनों सरकार की खामियों को उजागर करते हुए 32% आरक्षण पर तथ्यात्मक रिपोर्ट ना जमा करने के कारण से उसे पुनः 20% करने का आदेश जारी किया गया, जिससे पूरे राज्य में आदिवासी समाज नाराज होकर सड़कों पर उतर रहा है। भाजपा और कांग्रेस की टिकटों पर बस्तर और सरगुजा से चुनकर आने वाले विधायक आज जनता को जवाब दें, कि उनके विधायक दल के नेता अर्थात मुख्यमंत्री द्वारा कमेटी गठित करने के पश्चात भी क्यों माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष वास्तविक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई इसका जवाब राज्य के भाजपा व कांग्रेस के मुख्यमंत्री व उनके कैबिनेट से पूछी जानी चाहिए, आदिवासी समाज को गुमराह करने के लिए एक दूसरे पर भाजपा व कांग्रेस के नेता आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। जिसे जनता ने समझ लिया है ।वर्तमान कांग्रेस की सरकार से यह सवाल है कि यदि वह भाजपा की नीतियों को इस फैसले का प्रमुख कारण मानती है। तो वह कर्नाटक सरकार की तरह अध्यादेश लाकर इस आरक्षण को लागू करने पर विचार क्यों नहीं कर रही वही भाजपा के रमन सरकार के समय गठित दोनों कमेटियों ने आखिर क्यों? उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कर तथ्यात्मक रिपोर्ट जमा नहीं किया, यह बड़ा सवाल जनता के बीच उठ रहा है। जिसका जवाब दोनों ही पार्टी के नेता देने से चूक रहे हैं। बस्तर के 12 में से 11 सीटे आरक्षित श्रेणी से आती हैं ऐसे में मुख्यमंत्री के बस्तर प्रवास के समय भी बस्तर के 11 विधायकों एवं सांसदों ने मुख्यमंत्री के समक्ष आदिवासी समाज से हुए बड़े पक्षपात का विरोध जाहिर नहीं किया, बल्कि उनके आवभगत में मशगूल पाए गए, इससे यह साफ है। कि कांग्रेस व भाजपा के नेता प्रदेशिक हाईकमान के आदिवासी विरोधी फैसलों के समक्ष नतमस्तक व खामोश है। यही कारण है। कि सरकार की कमियों का फायदा याचिकाकर्ताओं ने उठाकर यह आदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित करवा लिया गया। इस दौरान बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों के रूप में मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष भरत कश्यप मुक्ति मोर्चा के जगदलपुर ग्रामीण ब्लॉक अध्यक्ष अजय बघेल मुक्ति मोर्चा युवा विंग संभागीय अध्यक्ष संतोष सिंह, नानगुर मंडल अध्यक्ष प्रीतम नाग, सोशल मीडिया प्रभारी ओम मरकाम उपस्थित थे।*

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