* बेचापाल के ग्रामीण ,संवैधानिक तरीके से एक वर्ष से बैठे हैं अंदोलन पर, शासन प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहि आता सुद लेने ,,,सीपीआई* * कांग्रेस की सरकार टोटल साम्राज्यवाद और पूंजीवादी नक्से कदम पर, नही चाहते आदिवासियो का विकास उनके हिसाब से हो ,,,कमलेश झाड़ी* *मुर्गेश शेट्टी की रिपोर्ट*

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* बेचापाल के ग्रामीण ,संवैधानिक तरीके से एक वर्ष से बैठे हैं अंदोलन पर, शासन प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहि आता सुद लेने _सीपीआई*
* कांग्रेस की सरकार टोटल साम्राज्यवाद और पूंजीवादी नक्से कदम पर, नही चाहते आदिवासियो का विकास उनके हिसाब से हो _ कमलेश झाड़ी*

*मुर्गेश शेट्टी की रिपोर्ट*

* बेचापाल में ग्राम सभा व जनसुनवाई कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे ,सीपीआई नेता कमलेश झाड़ी ,व पूरा टीम_ सीपीआई*

* बेचापाल के ग्रामीण ,संवैधानिक तरीके से एक वर्ष से बैठे हैं अंदोलन पर, शासन प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहि आता सुद लेने _सीपीआई*
* कांग्रेस की सरकार टोटल साम्राज्यवाद और पूंजीवादी नक्से कदम पर, नही चाहते आदिवासियो का विकास उनके हिसाब से हो _ कमलेश झाड़ी*

बीजापुर::::::बता दें कि भैरमगढ़ ब्लॉक के बेचापाल गांव में पिछले एक वर्ष से ग्रामीण आदिवासी वा मूलवासी बचाओ मंच के लोग अपनी मांगों को लेकर संवैधानिक तरीके से अंदोलन पर बैठे हैं। पर शासन प्रशासन का कोई भी ज़िम्मेदार व्यक्ति उनकी सुद लेने अभी तक नही पहुंचा है।

यह बड़े दुःख की बात है एक तरह से मौजूदा सरकार इस छेत्र की आदिवासी जानता के साथ अनदेखी कर रही है।

यह बात ग्रामीणों ने सीपीआई नेता कमलेश झाड़ी से कही।

वहीं ग्रामिणों ने आज 21नवम्बर को ग्राम सभा वा जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें प्रशासन को भी सूचना दी थी पर कोई प्रशासनीक आधिकार वहां नही पहुंचे।

वहीं सरपंच की उपस्थिति में वा गांव के वरिष्ट राजूराम ओयम के अध्यक्षता में ग्राम सभा संपन्न किया गया। और 7 बिंदुओ पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर शासन प्रशासन को सौंपने का निर्णय लिया गया।

इस ग्राम सभा में सीपीआई के जिला सचिव एवं राज्यपरिषद के सदस्य कमलेश झाड़ी, लक्ष्मीनारायण पोर्ते, कोवाराम हेमला, राजू तेलाम, जेम्स कुड़ियम, मोतीराम पोर्ते एवं अन्य सीपीआई के सदस्य भी मौजूद थे।

इस सारे समस्या को देखते हुए सीपीआई मांग करती है की बीजापुर जिले में कई जगह पर आदिवासी ग्रामीण अंदोलन पर बैठे हैं जिनकी बातों पर अमल की जाए अन्यता सीपीआई आने वाले दिनों में इन आदिवासियो की मांगों को लेकर आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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