* पूर्व प्रभारी सहायक आयुक्त के द्वारा, बरती गई अनियमितताओं के खिलाफ, जनप्रतिनिधियों के बाद जांच प्रारम्भ,*मुर्गेश शेट्टी की रिपोर्ट*
बीजापुर::::::::: तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी व प्रभारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास प्रमोद ठाकुर ने प्रभार के दौरान विभागीय कर्मियो के संलग्नीकरण, पदोन्नति, पद स्थापना , विभाग से संबंधित मरम्मत एवं निर्माण कार्यों में की गई अनियमितता की जांच पूर्णता की ओर है. जांच रिपोर्ट 20 नवंबर को संचालक लोक शिक्षण के समक्ष पेश की जानी हैं या पेश हो गया है?
बीजापुर शिक्षाधिकारी जिले में हुई अनियमितता की शिकायत जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अनेक सदस्यों ने मुख्यमंत्री से की थी. शिकायत में आरोप लगाया है कि तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीकांत दुबे पर कथित तौर पर शिक्षको ने लिखित शिकायत की जिसको संज्ञान में लेकर प्रशासन ने हटाया ।
उनके स्थान पर जिला शिक्षाधिकारी प्रमोद ठाकुर को आदिवासी विकास सहायक आयुक्त का प्रभार दिया गया।
उस अवधि में प्राथमिक शालाओं के सहायक शिक्षको की प्रधान- पाठक, शिक्षको का संलग्नीकरण, दिव्यांग एवं महिला शिक्षको की पद स्थापना में जमकर ” खेला” किया गया है. मोटा रकम लेकर शिक्षको को पदोन्नति, संलग्नीकरण, एवं पद स्थापना दी गई।
इसके अतिरिक्त विभाग से संबंधित भवनों की मरम्मत व निर्माण के नाम पर शासकीय राशि , विभाग के लिए सामग्री, शालाओ में प्रयोग शाला के उपकरणों तथा अन्य सामग्री में आर्थिक अनियमितता बरती गई।
मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेकर विभागीय सचिव को जांच का निर्देश दिया ।
इसके बाद संचालक लोक शिक्षण ने विभाग के उप संचालक मधु वर्मा के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया ।
जांच कमेटी मे दो अधिकारी शामिल हैं ।
जांच कमेटी जिला शिक्षा विभाग को उक्त अवधि में प्राप्त आवंटन, प्रशासकीय स्वीकृति, सामग्री क्रय हेतु समिति गठन प्रक्रिया, अपनाई गई निविदा प्रक्रिया, प्राप्त निविदाओं व स्वीकृत निविदाओं, क्रय आदेश, भुगतान, पंजी, गुणवत्ता जांच प्रतिवेदन, भवनों व अन्य परिसंपत्तियों की मरम्मत एवं निर्माण हेतु प्राप्त आवंटन, मदवार जारी की गई राशि, प्राक्कलन की प्रति, निर्माण की स्थिति आदि का बारीकी से जांच कर रहे हैं ।
संचालक लोक शिक्षण ने जांच रिपोर्ट 20 नवंबर को पेश करने का निर्देश जांच दल को दिया है ।
कुछ शिक्षक और शिक्षिका अपने मूल स्थान से हटाकर अन्य शालाओ में या आश्रम शालाओ में संलग्न किया है ।
जब इस प्रकार हो रहा है तो शालाओ में शिक्षको के कमी के कारण पढाई प्रभावित हो रहा है ।
एक विकास खंड के शिक्षको को दूसरे विकास खंड में संलग्नीकरण करना नियमों के विरुद्ध है ।
मुख्यमंत्री महोदय ने स्पष्ट कहा कि ” बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता लाना अनिवार्य है, जो भी इसका अवहेलना करेगा उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी ।
शायद विकास खंड उसूर में सहायक शिक्षको के पदोन्नति में जो आरोप लगाकर कथित तौर पर जो पत्र जारी किया गया है वह इसकी परिणिति तो नहीं?
लगता है शिक्षा विभाग में ” खेला होबे ” चल रहा था ।