प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14,850 करोड़ रुपये की लागत से बने और उत्तर प्रदेश के सात जिलों से गुजरने वाले 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शनिवार को उद्घाटन किया। इस एक्सप्रेस-वे से बुंदेलखंड के लोग छह घंटे में दिल्ली पहुंच सकेंगे। पीएम मोदी ने उद्घाटन के मौके पर कहा भी कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चित्रकूट से दिल्ली की दूरी तो 3-4 घंटे कम हुई ही है, लेकिन इसका लाभ इससे भी कहीं ज्यादा है। ये एक्सप्रेसवे यहां सिर्फ वाहनों को गति नहीं देगा, बल्कि ये पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक प्रगति को गति देगा।
उद्घाटन कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे। सरकार की मंशा थी कि यूपी के विधानसभा चुनाव से पूर्व एक्सप्रेस-वे को चालू कर दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और चुनाव बाद अब फिर एक्सप्रेस-वे के काम में तेजी लाई गई है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी के उत्तर प्रदेश आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत करते हुए ट्वीट किया, ‘महान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, सृजन की धरा, विभिन्न संस्कृतियों की संगमस्थली, उत्तर प्रदेश की क्रांति भूमि पर नए भारत के शिल्पकार आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन।’
1.प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी, 2020 को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास किया था। इस एक्सप्रेसवे का काम 28 महीने के भीतर पूरा कर लिया गया है।
2.इस चार लेन वाले एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) के तत्वावधान में लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और आगे चलकर इसे छह लेन तक भी विस्तारित किया जा सकता है।
3.यह एक्सप्रेस-वे चित्रकूट जिले में भरतकूप के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-35 से लेकर इटावा जिले के कुदरैल गांव तक फैला हुआ है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के साथ मिल जाता है। यह एक्सप्रेसवे सात जिलों-चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा- से होकर गुजरता है।
4.बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से सफर के दौरान बागेन, केन, श्यामा, चंद्रावल, बिरमा, यमुना, बेतवा और सेंगर नदियां पड़ेंगी। इसमें कुल चार रेलवे ओवरब्रिज, 14 बड़े पुल, छह टोल प्लाजा, सात रैंप प्लाजा, 266 छोटे पुल और 18 फ्लाई ओवर हैं।
5.बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे इस इलाके की कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के ढेरों अवसर सृजित होंगे। बांदा और जालौन जिलों में इस एक्सप्रेस-वे के समीप औद्योगिक गलियारा बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है।