* बीएसएफ 178वी बटालियन,ग्रामवासियों के साथ ऑक्सीजन ज़ोन में वृक्षारोपण करते हुए वृक्षों की संरक्षण व संवर्धन के संदेश के साथ पर्यावरण दिवस मनाया गया*,,,,,,,,,,,,,,,,,*आर, एल, कुलदीप की रिपोर्ट*

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* बीएसएफ 178वी बटालियन,ग्रामवासियों के साथ ऑक्सीजन ज़ोन में वृक्षारोपण करते हुए वृक्षों की संरक्षण व संवर्धन के संदेश के साथ पर्यावरण दिवस मनाया गया*,,,,,,,,,,,,,,,,,*आर, एल, कुलदीप की रिपोर्ट*

दुर्गुकोंदल::::::::::::::::::::::::::::::: शासकीय आयुर्वेद औषधालय कोदापाखा में 5 जून को पर्यावरण दिवस के तहत बीएसएफ 178वी बटालियन,ग्रामवासियों के साथ ऑक्सीजन ज़ोन में जामुन,कटहल,अमलतास आदि का वृक्षारोपण करते हुए वृक्षों की संरक्षण व संवर्धन के संदेश के साथ पर्यावरण दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर राकेश पांडेय कंपनी कमांडर ने संदेश देते हुए कहा कि पर्यावरण शब्द का अर्थ है हमारे चारों ओर का वातावरण है। हर मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान दे और उसे सँवारे।

पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें क्योंकि पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। अधिक जनसंख्या, वाटर साइंटिफिक इश्यूज, ओजोन डिप्लेशन, ग्लोबल वार्मिंग से लेकर वनों की कटाई, डिजर्टिफिकेशन आदि मानव जाति के लिए गंभीर खतरा हैं।

इस अवसर पर डॉ के व्ही गोपाल ने अपने संबोधन में कहा कि हम सब यह अच्छी तरह से जानते है कि आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है।

हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। लेकिन बढ़ते विकास के कारण इसे लगातार नुकसान पहुंच रहा है।

पर्यावरण संरक्षण हेतु जल संरक्षण,मृदा संरक्षण,वन संरक्षण,वन्य जीव संरक्षण,जैव विविधता संरक्षण क्षेत्रों में संरक्षण कार्य कर पर्यावरण दिवस को सार्थक बना सकते है।जल संरक्षण, वन संरक्षण और वृक्षारोपण के प्रति सजग होकर हम पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं ।

संजय वस्त्रकार व्याख्याता का विचार है कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर वनों का घटता क्षेत्रफल, नदियों और प्राकृतिक जल स्त्रोतों में घटता जल स्तर इनसे हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, यह हमारे लिए चुनौती है।

इसके लिए हम अपने स्तर पर कुछ सामान्य तरीके को अपना सकते हैं जैसे सूती बैग का प्रयोग करें और प्लास्टिक को ना कहें, पानी का उचित प्रयोग करें और पानी को यथासंभव बचाने का प्रयास करे,ऐसे वस्तु का उपयोग करे जिसे दुबारा उपयोग करने लायक भी बनाया जा सके, वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कचरे की पुन: इस्तेमाल,सस्टेनेबल डेवलपमेंट अर्थात जो भविष्य की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान दुनिया की जरूरतों को पूरा कर सके तो आइये अपने स्तर पर इसकी शुरुआत कर गरम होती धरती को अपने आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखें।

इस अवसर पर डॉ के व्ही गोपाल,राकेश पांडेय व 178वी बटालियन के कार्मिक,सविता कोमरे,जगदीश मरकाम,शिवप्रसाद बघेल,सीमा कावड़े व बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।

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