मनीष कौशिक
मोहला मानपुर:—-सपने उन्हीं के सच होते हैं, जिनके हौसले बुलंद होते हैं।” इस कथन को सच कर दिखाया है राहुल देव मांडवी ने, जो अपने क्षेत्र के आदिवासी गोंड समाज व ग्राम पंचायत कहडबरी से पहले वकील बनने का गौरव हासिल कर चुके हैं। राहुल की यह यात्रा आसान नहीं थी, बल्कि संघर्ष, मेहनत और त्याग से भरी रही। माता-पिता ने बकरी चराते हुए अपने बच्चों को शिक्षित किया और राहुल ने होटल में काम करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की।
*गरीबी के बीच शिक्षा की अलख**
राहुल देव मंडावी रजिस्ट्रेशन नंबर AIBEX1573033, इनरोलमेंट नंबर CG/921/2024/ADV , ग्राम अड़जाल, ग्राम पंचायत कहडबरी के निवासी हैं। उनके पिता तामेश्वर मंडावी और माता कुंती मंडावी बेहद साधारण किसान परिवार से आते हैं, जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने बेटे को पढ़ने का अवसर दिया। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने बच्चों की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया।
राहुल की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा पहली से आठवीं तक गांव में हुई, इसके बाद 9वीं से 12वीं तक सेमरपारा (अंतागढ़) में पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए बस्तर यूनिवर्सिटी, कांकेर से स्नातक किया। वकालत की पढ़ाई के लिए उन्हें बिलासपुर जाना पड़ा, लेकिन आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि वहां पढ़ाई जारी रखना मुश्किल था।
**होटल में काम कर पूरी की पढ़ाई**
सिविल जज की तैयारी करने के लिए राहुल ने बिलासपुर में साउथ कैफे में सर्वेंट का काम किया। उन्होंने होटल में काम करते हुए अपने सपने को जिंदा रखा। जब भी गांव आते, तो मजदूरी करते और बकरी चराते ताकि थोड़े पैसे जुटा सकें। पैसे की कमी के कारण वे सिर्फ चार महीने तक ही कोचिंग कर पाए।
राहुल की मां ने 2022 में अपने जमा किए हुए मात्र ₹2000 बेटे को दिए ताकि वह आगे की पढ़ाई कर सके। इसी पैसे से उन्होंने भट्ट अकादमी, गांधी चौक, बिलासपुर से कोचिंग की। यह संघर्षपूर्ण यात्रा कई बार मुश्किलों से भरी रही, लेकिन राहुल ने कभी हार नहीं मानी।
*पहले प्रयास में ही पास की ऑल इंडिया बार काउंसिल परीक्षा**
राहुल देव मंडावी ने 22 दिसंबर 2024 को ऑल इंडिया बार काउंसिल परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में सफल हो गए। परीक्षा का परिणाम 21 मार्च 2025 को आया, जिसमें उन्होंने सफलता हासिल कर अपने परिवार और समाज का नाम रोशन किया। अब वे व्यवहार न्यायालय, अंबागढ़ चौकी में प्रैक्टिस करेंगे और क्षेत्र, समाज के जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।
**मां-बाप का सपना हुआ साकार**
राहुल की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उनके माता-पिता की मेहनत और बलिदान का भी प्रमाण है। उनके पिता ने आठवीं के बाद पढ़ाई छुड़वाने का फैसला किया था, लेकिन उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने संघर्ष किया, अपने बेटे को मामा के गांव अंतागढ़ सेनरापारा भेजा, जहां से उसकी आगे की पढ़ाई हुई।
अब पूरे गांव में खुशी का माहौल है। कृष्णा धुर्वे, उनके पड़ोसी बताते हैं कि राहुल का घर मिट्टी का है कुछ जगह खप्पर तो कुछ जगह झिल्ली का है। राहुल व्यावहारिक है गांव में लोगों की मदद करता है। गांव के सभी लोग गांव से पहला वकील बनने पर खुश हैं। यह जीत सिर्फ राहुल की नहीं, बल्कि उन सभी माता-पिता की है, जो अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर संभव त्याग करते हैं।
**युवाओं को शिक्षा और नशामुक्ति का संदेश**
राहुल का कहना है कि शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है, जो किसी भी व्यक्ति को गरीबी और संघर्ष से बाहर निकाल सकती है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि नशे से दूर रहें और शिक्षा को प्राथमिकता दें। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता का शिक्षित होना भी जरूरी है, ताकि वे अपने बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकें।
**राहुल की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा**
राहुल देव मंडावी की कहानी उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किल हालातों से गुजर रहे हैं लेकिन अपने सपनों को नहीं छोड़ना चाहते। उनका संघर्ष, उनकी मेहनत और उनका आत्मविश्वास बताता है कि अगर सच्ची लगन हो, तो कोई भी बाधा हमें आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती।
ग्राम पंचायत कहडबरी का यह पहला वकील अब आदिवासी समाज में बदलाव लाने और न्याय के लिए लड़ने का कार्य करेगा। उनके इस सफर ने यह साबित कर दिया कि संघर्ष के बिना सफलता अधूरी है, लेकिन हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।