*दक्षिण भारत के ,द्रविड़ शैली में निर्मित होगा प्रवेश द्वार ,दंतेवाड़ा पहुंचते ही ,होगी दंतेश्वरी माता दर्शन की अनुभूति, इनक्रेडिबल दंतेवाड़ा का संकल्प होगा मजबूत….*
*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*
दंतेवाड़ा,::::::::::: मुख्यमंत्री के मंशानुरूप जिले में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अब जिले में विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण करते हुए स्वागत द्वार बनाए जाएंगे।
गीदम-दंतेवाड़ा राष्ट्रीय मार्ग 163ए पर बनने वाले प्रवेश द्वार की लंबाई 18 मीटर, चौड़ाई 3.5 मीटर, ऊंचाई 12 मीटर होगी।
प्रवेश द्वारों पर लिखा होगा मां दंतेश्वरी की पावन धरा दंतेवाड़ा में आपका हार्दिक अभिनंदन है।
दर्शनार्थी अब जिले में प्रवेश करते ही भक्तिमय होते हुए मां का दर्शन करेंगे।
शहर में आने वाले मुख्य मार्ग का सौंदर्यीकरण कर विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण किया जाएगा।
धार्मिक स्थल के रूप में पहचान बनाने वाला दंतेवाड़ा जिला अब विशाल प्रवेश द्वार के नाम से नई पहचान गढ़ेगा।
यह भव्य द्वार मां दंतेश्वरी मंदिर की शोभा बढ़ाते हुए दंतेवाड़ा की पहचान बनेगा।
शहर में प्रवेश करते ही सभी को दंतेश्वरी मंदिर की संस्कृति आपका स्वागत करेगी।
दंतेश्वरी मंदिर से पहचान बनाने वाला यह जिला अब विशाल प्रवेश द्वार बनाते हुए एक नई पहचान बनेगा।
मुख्यमंत्री की मंशानुसार गुणवत्ता युक्त सड़कों को दुरुस्त करने के साथ ही वहां विशाल प्रवेश द्वार बनाने की योजना बनाई गयी है।
दंतेवाड़ा शहर के मुख्य द्वार पर बनने वाला यह प्रवेश द्वार दक्षिण भारत के द्रविड़ शैली में बनाया जाएगा। प्रवेश द्वार के मध्य टॉप पर गुम्बद बना हुआ है।
प्रवेश द्वार के मध्य में दंतेश्वरी मां के परिसर में लगे गरुण स्तम्भ की तर्ज पर गरुण स्तम्भ का ही स्वरूप देते हुए प्रतिमा लगाई जाएगी, जिसे काले पत्थरों से बनाया जाएगा।
इसी तरह दंतेश्वरी मां के पास स्थापित मूर्ति के द्वारपाल जैसे दोनों स्तंभों में द्वारपाल की मूर्ति निर्मित की जाएगी, जिनके हाथों में त्रिशूल, भुजंग दण्डिका, गदा के साथ ही वरदहस्त हैं।
द्वार को मंदिर से प्राप्त तत्वों के माध्यम से मां दंतेश्वरी के मंदिर के सदृश बनाया गया है। मंदिर प्रेरित डिजाइन घटकों के उपयोग के माध्यम से प्रवेश द्वार का मुख्य उद्देश्य मां दंतेश्वरी को चित्रित करना है।
इस प्रवेश द्वार का ऊपरी हिस्सा लाल पत्थरों से निर्मित होगा, दोनों स्तंभों के उपर शंख की प्रतिकृति बनाई जाएगी।
इसके नीचे की संरचना जालीनुमा होगी दोनो तरफ घंटी सदृश्य आकृति होगी यानी प्रवेश द्वार से ही सैलानियों के मन में आस्था का भाव जागृत होगा और उन्हें महसूस होगा कि वे एक धर्म नगरी में प्रवेश कर रहें है।
यह प्रवेश द्वार जिले के पर्यटन, धार्मिक स्वरूप और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए जिले को एक नई पहचान देगा और अविश्वसनीय दंतेवाड़ा (इनक्रेडिबल दंतेवाड़ा) के संकल्प को मजबूत करेगा।