मनीष कौशिक मोहला
मोहला:—-छत्तीसगढ़ के साथ साथ जिले में भी हरे सोने की तोड़ाई जोरों से है वनांचल के ग्रामीण सुबह से पूरे परिवार के साथ जाकर तोड़ रहे हैं हर सोना मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी में इन दिनों हरे सोने कहे जाने वाले तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम जोरो शोरो से चल रहा है वनांचल के ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति को सुखद बनाने में जुटे हैं जंगलों में मिलने वाला यह पत्ता मूल रूप से बीड़ी बनाने के काम आता है वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासी ग्रामीणों की प्रमुख आय का साधन है। जंगलों-पहाड़ों पर स्थित तेंदू के पौधों से एक-एक कर पत्ता तोड़कर सभी पत्तों का गड्डी तैयार करते हैं एक गड्डी में 50 पत्ते होते हैं 25-25 पत्ते अलग-अलग दिशा में रखकर उन्हें एक गड्डी के रूप में रस्सी से बांधते हैं गड्डी तैयार होने पर शाम को फड़ में ले जाकर उसे बेचते हैं। जहां फड़ मुंशी के निरीक्षण के पश्चात गड्डी को फड़ पत्ता सुखाने चिन्हित स्थान में सुखाते हैं। वही पत्ता तेंदूपत्ता तोड़ने आय दयावती मांडवी से जब हम बात किया तो उन्होंने बताया सुबह 6- 7 बजे हम घर से पुरे परिवार के साथ भोजन पानी के प्रयाप्त मात्रा लेकर आते हैं और दोपहर तक हम पत्ता तोड़ते हैं वही हमे 6 से 7 दिन हो रहा है हमें पत्ता तोड़ते हुए 15 दिन के इस सीजन में 25 से 30 हजार रुपए तक हम बेच लेते है वर्तमान समय पर 5 हजार 5 सौ रूपए दिया जा रहा जिससे हमारे परिवार का भरण पोषण हो जाता है स्कुल के छुट्टी के चलते बच्चे भी तेंदूपत्ता तोड़ने में मदद करते हैं। छत्तीसगढ़ मिलने वाले तेंदूपत्ता अच्छे गुणवत्ता के चलते पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और भी कई राज्यों में इसकी अच्छी डिमांड है. वहीं तेंदूपत्ता का विदेशों में भी अधिक मांग है. बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और अफगानिस्तान आदि कई मुल्कों में भारत से तेंदूपत्ता भेजा जाता है. यही वजह है कि इसकी बढ़ती मांग को लेकर सरकार ने दर में वृद्धि किया गया है।