भाजपा को गौठान व गौशाला में *अंतर की समझ ही नहीं गाय के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोगों को भगा रही है जनता*:- भाजपा के लोग 15 साल छत्तीसगढ़ में राज किया पर कभी गाय की सुध नहीं ली अब चुनाव आया है तो गौठान जा रहे हैंजिलापंचायतअध्यक्ष हेमंतध्रुव

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भाजपा को गौठान व गौशाला में
*अंतर की समझ ही नहीं
गाय के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोगों को भगा रही है जनता*:- भाजपा के लोग 15 साल छत्तीसगढ़ में राज किया पर कभी गाय की सुध नहीं ली अब चुनाव आया है तो गौठान जा रहे हैंजिलापंचायतअध्यक्ष हेमंतध्रुव
दुर्गुकोंडल 23 मई 2023
दुर्गुकोंडल प्रवास के दौरान मीडिया से मुलाकात के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष हेमंत धुव ने भाजपा नेताओं के गौठानों में जाने पर तीखे कटाक्ष किए। वहीं भाजपा की नीयत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इन लोगों को गौठान और गौशाला में अंतर समझ नहीं आता। चुनाव आ गया तो वो गौठान जा रहे हैं। इससे पहले कभी गौठान याद नहीं आया। दौरे में कुछ देखा नहीं और पहले ही क्रिरप्ट लिख लेते हैं और आकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। गोधन योजना और छत्तीसगढ़ मॉडल को देश, दुनिया सराह रही है। इसमें इन लोगों को भ्रष्टाचार नजर आता है। अगर जा रहे हैं जो कुछ अच्छे सुझाव भी दें। हेमंत धुव ने कहा कि भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में आने के पूर्व प्रत्येक नागरिकों के खाते में 1500000 लाख रुपए आने की बात कही थी जोकि एक काल्पनिक रह गया वह 1500000लाख कहां है मुझे भाजपा के साथी बताएं गाय के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाली भाजपा ने 15 वर्ष तक गायों की सुध नहीं ली गौशाला के नाम पर अनुदान की राशि से भ्रष्टाचार किया अब जब भूपेश बघेल सरकार महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने के लिए गोबर गोठन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगी है तो भाजपा इसे पचा नहीं पा रही है गोठाना में भाजपा के लोग जाते हैं और आक्रोशित लोग उन्हें भगा देते हैं उन्होंने कहा कि गोठान के विषय पर भाजपा नेता केवल राजनीति कर रहे हैं जिला पंचायत अध्यक्ष हेमंत धुव
ने भाजपा नेताओं पर कटाक्ष किए कि बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने वालों को गौशाला और गौठान में अंतर समझ नहीं आता।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि इनको कोई काम नहीं है। अब ये लोग गर्मी में वहां जा रहे तो इस मौसम में कौन से गौठान में मवेशी रहते हैं। गर्मी में मवेशी नदी, नाले, छांव में रहते हैं। यह छत्तीसगढ़ की परंपरा है। ‘चरवाहा तक गर्मी में नहीं जाते। जब फसल लगना शुरू होता है तब जाते हैं इसलिए तो रोका छेका करते हैं। ये एक दिन की योजना नहीं है। गौठान बनाना शुरू किया तो पहले डेढ़ लाख एकड़ जमीन आरक्षित की। अफसरों, कर्मचारियों को मालूम नहीं था, कैसे बनाना है। हम लोग गांव के रहने वाले हैं तो पता है। अब धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। तो इनको तकलीफ हो रही है।
। अब चुनाव के समय जा रहे हैं। गाय के नाम पर वोट ही लेते हैं, अरे कभी जाकर गौसेवा तो कर लें। ये नई योजना है, नया काम है। अपना अनुभव बताएं कि ये भी काम होना चाहिए। इनको केवल टारगेट दे दिया गया है। पहले इनके शासन में कमीशन फिक्स होता था। तब काम शुरू होता था। चप्पल, टिफिन, किताब, मोबाइल सब में कमीशन तय होने के बाद योजना लांच करते थे। जिसे कमीशन खोरी से भाजपा की सरकार 15 साल राज करने के बाद 15 सीट पर आकर ठहर गई और आने वाले 15 साल तक दूर-दूर नजर नहीं आएगी।

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