*महिला कांस्टेबल क्यों करना चाहती है आत्महत्या ? दिन तिथि भी हो चुकी है तय…क्या है वजह पढें पुरी खबर।आर.एल.कुलदीप के साथ:-*
कांकेर:-
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले कांकेर जिले में पदस्थ महिला कांस्टेबल ने पुलिस विभाग के अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर पुलिस अधीक्षक कांकेर से आत्मदाह करने पत्रकारवार्ता लेने व न्यायालय में याचिका लगाने की अनुमति माँगी थी परंतु कांकेर के पुलिस अधीक्षक ने महिला कांस्टेबल को कोई भी अनुमति प्रदान नही की उल्टे उस पर तरह तरह के दबाव बनाने लगे जिस से प्रताड़ित होकर 16/05/2023 को महिला आरक्षक ने 19/05/2023 की आत्मदाह करने की सूचना जिला कलेक्टर कांकेर के कार्यालय में दी है। दिए गए पत्र में बताया गया है कि वह एक अविवाहित महिला कर्मचारी है जिसे पिछले कई वर्षों से लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और न्याय नही मिल रहा है तथा कई अधिकारी गलत नियत रखते हैं, तथा पुलिस अधीक्षक, रक्षित निरीक्षक व अन्य अधिकारी मिले हुए हैं व षड्यंत्र रचकर परेशान कर रहे हैं, वेतन रोक कर आर्थिक और मानषिक रूप से तोड़ दिया गया है
अधिकारियों की प्रताड़नाओं और उनके न्याय करने के सुस्त रवैये से तंग आ कर 19/05/2023 के दोपहर 12 बजे जिला कांकेर के कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर आत्मदाह करने वाली है।
अब देखना ये है कि कांकेर के कलेक्टर महोदय इस मामले को गम्भीरता से लेते हैं या पुलिस विभाग के अधिकारियों की तरह सुस्त रवैया अपनाते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम को देखने से पता चलता है कि पुलिस विभाग की ये महिला कर्मचारी सच मे इतनी ज्यादा प्रताड़ित हो गई है कि उसे अपनी आत्मदाह करने के तारीख की सूचना भी जिला कलेक्टर को देनी पड़ रही है।
एक तरफ छत्तीसगढ़ में सरकार की तरफ से महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही है वहीं दूसरी तरफ एक महिला पुलिसकर्मी अपने आत्मदाह का दिन निर्धारित कर रही है। क्या प्रशासन इस आत्मदाह को रोक पायेगा या बड़े अधिकारियों की प्रताड़ना से एक और महिला पुलिसकर्मी अपनी जान गंवाएगी या पहले की तरह ही अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर पुलिस विभाग के अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर महिला आरक्षक को झूठे प्रकरण में फंसा देंगे। क्योकि कुछ वर्ष पहले पुलिस मुख्यालय रायपुर के CID शाखा में पदस्थ महिला पुलिसकर्मी भी प्रताड़ना से तंग आकर व अपनी जान बचाने के लिए वृंदावन में जा कर छुप गई थी उसे आज तक न्याय नही मिल पाया है क्योकि जहां बड़े अधिकारियों और रसूखदारों का नाम आता है वहां पर सिस्टम ठंडा पड़ जाता है।
आज छत्तीसगढ़ राज्य में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी भी मुख्य मुद्दों को छोड़ कर सिर्फ धर्म के राजनीति में सिमट कर रह गई है क्योंकि वर्तमान सरकार के एक सवाल 15 सालों में आपने क्या किया और आपने भी तो यही किया था । का जवाब देने से बचने के लिए बड़ी विपक्षी पार्टी के बड़े लोग गायब हो जाते हैं ऐसे में राज्य के पीड़ित आमजनों का मुद्दा कौन उठाएगा और पीड़ितों को न्याय कैसे मिल पायेगा।