*बीजादूतीर स्वयंसेविका भानुप्रिया की प्रयास बची दो जिन्दगी* ,,,,
,,,,,,तेजनारायण सिंह की रिपोर्ट,,,,
बीजापुर ,,,, बीजापुर अंचल के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दी जा रही है फिर भी कई बार संस्थागत प्रसव के महत्व को दरकिनार कर घर मे ही प्रसव कराने के जिद्द कर बैठते हैं जो जोखिम भरा होता है ऐसे ही कई प्रकरणों में बीजादूतीर स्वयं सेवकों का कार्य बहुत सराहनीय होता है जो जच्चा बच्चा को नया जीवन देते है।
स्वयंसेवक लगातार व्यवहार परिवर्तन की दिशा में सेवा दे रहे ।
बात स्वयंसेविका भानुप्रिया की प्रयास की है जो पिछले 1 साल से बीजादूतीर स्वयंसेविका के रूप में सक्रियता से सेवा दे रही है जिसने ग्राम मदपाल (फुलाद्दी) कि गर्भवती महिला बुदरी पति दसरू कडती संस्थागत प्रसव का लाभ दिलवाने हेतु खाता खुलवाने के लिए भैरमगढ़ बैंक लेकर गई थी बैंक में परेशानी बढ़ने के कारण बुदरी को भैरमगढ़ स्वास्थ्य केंद्र में लेके गई उपचार के पश्चात ज्ञात हुआ की बुदरी के बच्चा दानी में परेशानी है तुरंत बीजापुर रिफर कर दिया गया बीजापुर जिला अस्पताल में उपचार के पश्चात ज्ञात हुआ कि बुदरी के बच्चा दानी में छेद है, एवं खून की कमी है बुदरी का स्वास्थ्य अत्यंत नाजुक हो रही थी जिसे देखकर बुदरी को तुरंत जगदलपुर डीमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर कर दिया गया स्वयंसेविका ने अकेले बुदरी को जगदलपुर डीमरापाल अस्पताल लेकर गई। लाने के पश्चात खून चढाने हेतु कहा गया ब्लड बैंक में खून का ना होना भानुप्रिया का और परेशानी बढ़ा दिया आपरेशन के लिए कुछ आवश्यक सामग्री बाहर से खरीदना था पैसे का ना होने से अकेले भानुप्रिया परेशानी में पड गई । ऐसी स्थिति में भानुप्रिया ने सभी से मदद माँगा और अंत में डॉक्टर दुल्हनी (इंचार्ज डीमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल )का सहयोग मांगा जिसके पश्चात डॉक्टर के सहयोग पर तुरंत ऑपरेशन कर दो जिन्दगी बचाने में सफल हुए । यह प्रयास से बुदरी पति दसरू कडती दोनों ने संस्थागत प्रसव का महत्त्व समझा जिन्हें एक बेटी के रूप में नया सदस्य मिला ।