* छत्तीसगढ़ सहित इन जिलों में दिखेगा चक्रवाती तूफ़ान का असर, इस दिन होगी बारिश, मौसम विभाग ने दी जानकारी…*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*
रायपुर :::::::::: छत्तीसगढ़ में मौसम एक बार फिर करवट बदलने वाला है, वजह है बंगाल की खाड़ी में उठ रहा चक्रवाती तूफान।
इस तूफ़ान की वजह से 8 दिसम्बर से प्रदेश के बस्तर और दुर्ग संभाग में बादल छा जाएंगे।
अगले दिन तक इनका विस्तार पूरे प्रदेश में हो सकता है।
संभावना जताई जा रही है कि 10 दिसम्बर को हल्की से मध्यम स्तर की बरसात हो सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान मंडौस 8 दिसम्बर को तमिलनाडू के पास पहुंचने वाला है।
यह पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटाें को प्रभावित करेगा। इसकी वजह से तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भारी बरसात का अलर्ट जारी हुआ है।
इसका असर छत्तीसगढ़ के मौसम पर भी पड़ेगा।
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एच.पी. चंद्रा ने बताया, इस तूफान के असर से छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में 8 दिसंबर को बादलों का आना शुरू हो जाएगा।
यह मध्य और उत्तर छत्तीसगढ़ के इलाकों यानी दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा संभाग तक भी पहुंचेगा।
10 दिसम्बर को प्रदेश में बरसात की संभावना बन रही है।
दक्षिण छत्तीसगढ़ में अच्छी बरसात हो सकती है।
जबकि सरगुजा संभाग के इलाकों में बूंदाबांदी तक ही सीमित रह सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक सर्दी के मौसम में उत्तर से सूखी और ठंडी हवाओं का आना और दक्षिण से नमी युक्त हवा आकर एक बिंदु पर मिलने से बरसात की संभावना बढ़ जाती है।
छत्तीसगढ़ में ऐसा 10 दिसम्बर को हाेने जा रहा है।
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले पांच दिनों में 09 से 11 दिसम्बर के मध्य कांकेर जिले के कुछ स्थानों पर बहुत हल्की वर्षा होने की संभावना है।
आसमान में आंशिक रूप से बादल छाये रहने के साथ अधिकतम तापमान 28.0 से 29.0 सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 12.0 से 16.0 सेंटीग्रेड सुबह की हवा में 85 प्रतिशत आर्द्रता और शाम की हवा में 60 प्रतिशत आर्द्रता तथा आने वाले दिनों में हवा उत्तर-पूर्व दिशा से 4.0 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।
कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीरबल साहू ने जिले के किसान भाईयों को सलाह दी है कि कटी हुई फसलों, अनाज, बीज तथा उर्वरकों से भरे बोरों तथा पशुओं के सूखे चारों को सुरक्षित सूखे स्थानों पर ढक कर रखें।
धान उपार्जन केन्द्रों में अनाज से भरे बोरों को ढंकने की व्यवस्था बनाये रखें।
गोभीवर्गीय फसलों की जल्द से जल्द तोड़ाई करें, बदली के मौसम को देखते हुए दलहन, तिलहन एवं सब्जी वर्गीय फसलों में माहू के प्रकोप की आशंका है इसलिए लगातार फसलों की निगरानी रखें एवं प्रकोप दिखने पर नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव करें।