*धर्मातरंण का खामियाजा*
*मां को भी नसीब न हो पाया मृत जवान बेटे का मुख देखने एवं अंतिम क्रिया कर्म करने का मौका*
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
RkभारतNEWS कृष्ण दत्त उपध्याय
आदिवासी बाहुल्य गांव में जाकर धर्मांतरण कराने में लगे लोगों के झांसे में आकर प्रार्थना सभा में जाना शुरू कर मतांतरण धर्मांतरण कर लेने वाले मतांतरण -धर्मातरंण कर लेने के बाद किस तरह से अपने जाति -धर्म – परिवार -रिश्तेदार – समाज – गांव से टूट जाते हैं और अपनों से ही बैर पालकर कहीं के नहीं रह जाते इसका एक उदाहरण केशकाल तहसील के अंतिम छोर पर रचे बसे आदिवासी बाहुल्य ग्राम तरईबेडा में देखने को मिल रहा है ……
मां – भाई -बहन एवं परिवार के बगैर जानकारी एवं सहमति के दूसरों के संपर्क में आकर एक युवक मतांतरण /धर्मांतरण कर लिया और घर परिवार समाज गांव में होने वाले सेवा पूजा तथा अन्य रस्म रिवाज परम्परा से दूर रहकर चर्च में होने वाले प्रार्थना सभा में जाने लगा और वहां दिये जाने वाले समझाइश की हिसाब से जिंदगी जीने लगा……
मतांतरण/धर्मांतरण कर लेने के बाद उसके खून के रिश्ते के अपने पराये लगने लगे और जो पराये थे वो अपने लगने लगे । इस तरह से वो अपनों से अपने आपको दूर करने लगा और परिवार समाज के लोगों के बगैर सहमति अनुमति एकमतातंरित / धर्मांतरित लड़की से रिश्ता बना लिया और उसके साथ अलग रहने लगा । गांव में ही परिवार वालों से अलग रहकर *सिलाई मशीन चलाकर जीवन गुजर बसर करने वाले रमेश मरकाम की मृत्यु होने के बाद उसकी लाश को उसके सांथ रहने वाली महिला स्वयं को उसका पत्नी बताकर पुलिस से लेकर कोंडागांव ले जाकर वहां कफन दफन कर दिया जिसकी जानकारी मृतक की मां को भी नहीं दिया गया* -?
*मृतक की मां – परिवार -रिश्तेदार – समाज और गांव के लोग मृतक रमेश मरकाम के मृत्यु को लेकर और उस पर पुलिस द्वारा किए गये कार्यवाही को लेकर असंतुष्ट और क्षुब्ध हैं तथा धर्मांतरण कराने में संलिप्त लोगों के द्वारा अपनों से अपनों को तोड़कर अपना बनाने के चलाये जा रहे षडयंत्र के खिलाफ भी भारी नाराजगी है* ।
फरसगांव थाना क्षेत्र के ग्राम – तरईबेडा के एक आदिवासी परिवार को अपने पुत्र द्वारा गुपचुप कर लिए गये धर्मांतरण का जो खामियाजा भोगना पड़ा उससे उसके परिवार -रिश्तेदार ही नहीं बल्कि पूरे गांव वाले दुखी और हतप्रद हैं ।
बताया जा रहा है कि 👉
*तरईबेडा के मरकाम परिवार के 28 वर्षीय युवक रमेश मरकाम की फरसगांव बस स्टैंड के पीछे बन रहे चर्च के निर्माण कार्य में काम करते विद्युत करेंट लगने से मृत्यु हो गई* ।
*बेटे की मृत्यु के बाद उसकी मां को अपने मृत बेटे का न लाश देखने को मिला और न लाश* …
*वो आज भी रो रोकर विलाप करते कहती हैं कि मेरे बेटे को मार डाले कि मर गया मुझे पता नहीं ,मुझे बेटे को नही दिखाया गया और मेरे बेटे का अंतिम क्रिया कर्म कहा कर दिया गया मुझे कुछ पता नहीं* ….
*परिवार वाले और गांव वाले भी हैरत जाहिर करते कहते हैं कि रमेश की मौत के लिए दोषी लोगों के खिलाफ अभी तक क्यों कोई कार्रवाई नहीं किया गया* -?