*आदिवासियों का भरोसा जीतने के बजाय उन्हे ही निशाना बनाया जा रहा – जग्गूराम तेलामी* *दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

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*आदिवासियों का भरोसा जीतने के बजाय उन्हे ही निशाना बनाया जा रहा – जग्गूराम तेलामी*

*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

*सर्व आदिवासी समाज का दल पहुंचा नड़पल्ली*

*ग्रामीणों से मुलाकात कर वस्तुस्थिति का जायजा लिया*

बीजापुर::::: बीजापुर जिले के उसूर ब्लाक के नड़पल्ली गांव के 95 लोगों को सुरक्षा बलों द्वारा जबरन अपने कैंप लाए जाने और पिटाई किए जाने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है।

बुधवार को सर्व आदिवासी समाज द्वारा गठित दल जग्गूराम तेलामी के नेतृत्व में नड़पल्ली के ग्रामीणों से मुलाकात कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली तथा रिपोर्ट तैयार कर समाज के संभागीय नेतृत्व को सौंपेगा।

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी ने बताया कि नड़पल्ली गांव कुल 120 मकान हैं जिसमें से 95 लोगों को नक्सली बता कर सुरक्षा बलों ने 5 जुलाई की सुबह 4 बजे घर से जबरदस्ती उठा कर कैंप लाया था। जब परिजन कैप के पहुंचे तो उन्हें पिछले दरवाजे से निकाल कहीं और पहुंचा दिया गया। ग्रामीणों के मुताबिक पकड़े गए लोगों में अब तक 72 लोगों को पिटाई कर छोड़ा गया है जबकि 13 लोग अभी भी पुलिस हिरासत में हैं।

इन 13 लोगों में 5 ऐसे लोग भी हैं जो नक्सल मामले में जेल से रिहा किए जा चुके थे। करीब 15 दिन पहले टोरा बिनने के दौरान नक्सलियों द्वारा लगाए आईईडी के चपेट में आने से दोनों पैर गंवा चुकी बुजुर्ग महिला के बेटा को भी सुरक्षा बलों ने नही छोड़ा उसे भी हिरासत में रखा गया है।

घटना का पूरा विवरण सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर को सौंपा जाएगा।
जग्गूराम तेलामी ने कहा कि यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि आदिवासी सीएम वाले राज्य में आदिवासियों पर अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं।

जिले के अन्य इलाकों से ग्रामीणों को नक्सलियों के नाम पर पकड़ने की सूचना मिलती रही है पर यह पहली घटना है जब 120 घरों वाले गांव के 95 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।

सरकार और आदिवासियों के बीच दूरी और अविश्वास की भावना बढ़ती जा रही है।

जिले के सीमावर्ती और अंदरूनी गांव से लोग पड़ोसी राज्य में पलायन पर मजबूर हो रहे हैं।

आदिवासियों का भरोसा जीतने के बजाय आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। सरकार यहां के जनजातीय समुदाय के साथ समन्वय और संवाद स्थापित कर विश्वास में लेकर विकास कार्यों को बढ़ाए न कि आदिवासियों को जेल भेज कर।
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