दुर्गुकोंदल:भारत पर्वों के देश माना जाता है ,जिसमे प्रमुख त्योहारों में भाई बहनों के स्नेह व सामाजिक समरसता का प्रमुख आधार रक्षाबंधन पर्व है।भारतीय हिंदू संस्कृति में सभी रिश्तो को महत्व देने के लिए कई पर्व मनाए जाते हैं ।भाई दूज के साथ रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के अनूठे संबंध को और गहरा करने का पर्व है। भारत में रक्षाबंधन को लेकर पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा रही है। कहा जाता है की असुर देवता संग्राम में इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने अभिमंत्रित रेशम का धागा बांधा था जिसकी शक्ति से वे विजयी हुए। भगवान श्री कृष्ण को द्रौपदी द्वारा उनके घायल उंगली में साड़ी की पट्टी बांधने को भी रक्षाबंधन से जोड़कर देखा जाता है। इन्हीं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए दुर्गुकोंदल क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ गुरुवार को बहनों ने सुबह से उपवास रखकर स्नान और श्रृंगार किया। खुद सज धज कर बहनों ने थाल सजाई। जिसमें राखियों के साथ रोली हल्दी चावल दीपक मिठाई आदि रखा। भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारी गई और उनकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधी गई। भाइयों ने रक्षा का वचन देते हुए बहनों को उपहार प्रदान किए। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में रक्षाबंधन को लेकर एक सा उत्साह नजर आया। तमाम आधुनिकताओं के बावजूद आज भी भारतीय परंपराओं पर अटूट विश्वास की झलक ऐसे ही पर्व पर नजर आती है।दुर्गुकोंदल से लेकर गांव देहात तक मिठाई की दुकानें सज गईं थीं। बहनों ने मिठाई और राखी की दुकान पर खरीदारी जमकर की। सुबह बाइक से बहनें भाई के घर गईं। कहीं-कहीं भाइयों ने बहनों के घर जाकर राखी बंधवाया। पूरे दिन रक्षा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बच्चाें में भी रक्षाबंधन का उल्लास देखने को मिला। भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र की कामना की।