* ओडिसी नृत्य पर राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न, प्रख्यात नृत्य गुरुओं ने दी शानदार प्रस्तुति*,,,,,,,,,,,,,,*नितिन भांडेकर की रिपोर्ट*

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* ओडिसी नृत्य पर राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न, प्रख्यात नृत्य गुरुओं ने दी शानदार प्रस्तुति*,,,,,,,,,,,,,,*नितिन भांडेकर की रिपोर्ट*

खैरागढ़::::::::::: इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में ओडिसी शास्त्रीय नृत्य पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय के नृत्य संकाय के संयोजन में ‘ओडिसी नृत्य में भाव व भंगिमाओं का प्राचीन तथा वर्तमान स्वरूप’ विषय पर केंद्रित इस सेमिनार में देश के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञों और नृत्य गुरुओं ने ओडिसी नृत्य में भाव व भंगिमाओं पर अपने विचार व्यक्त किए।

विश्वविद्यालय की कुलसचिव व अधिष्ठाता (नृत्य संकाय) तथा कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर डॉक्टर नीता गहरवार ने बताया कि कुलपति पद्मश्री डॉ ममता (मोक्षदा) चंद्राकर के संरक्षण में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार में भुवनेश्वर, उड़ीसा से नृत्य गुरु डॉक्टर मनोरंजन प्रधान, मेवाड़ विश्वविद्यालय, राजस्थान से नृत्य गुरु डॉक्टर श्रीमती कुंजलता मिश्र, बेंगलुरु से प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना डॉक्टर के. ज्योतिर्मय पटनायक तथा कोलकाता की सुविख्यात ओडिसी नृत्यांगना और रिसर्चर श्रीराधा पॉल विशेषज्ञ वक्ता के रूप में आमंत्रित थे। सभी वक्ताओं ने विस्तार से अपनी बातें रखीं।

19 एवं 20 जनवरी 2024 को विश्वविद्यालय के डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा प्रेक्षागृह में आयोजित इस सेमिनार में नृत्य संकाय की ओर से डॉक्टर सुशांत कुमार दास, डॉक्टर शेख मेदिनी होम्बल, डॉक्टर शिवानी सिंह बैस, डॉक्टर जितेश गढ़पायले समेत अतिथि शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया। दो दिवसीय सेमिनार में विषय विशेषज्ञों की शानदार प्रस्तुतियां भी विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद रहीं। ओडिसी विभाग के विद्यार्थियों ने सामूहिक नृत्य की प्रशंसनीय प्रस्तुति दी।

कुलसचिव प्रोफेसर डॉक्टर गहरवार ने सफल आयोजन के लिए कुलपति पद्मश्री डॉक्टर चंद्राकर समेत सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि वह सभी इस दो दिवसीय सेमिनार पर आधारित एक विश्लेषणात्मक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें, जिससे यह समझा जा सके कि उन्हें इसका कितना लाभ मिला और वह कितना समझ पाए। सेमिनार में विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठातागण, प्राध्यापकगण शिक्षकगण, शोधार्थीगण, विद्यार्थी, अधिकारी, कर्मचारी समेत विश्वविद्यालय परिवार शामिल हुआ।

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