*बीजापुर जिले में सड़कों के नाम पर, 500 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार , अधिकारी – इंजीनियर ने ताने शहरों में बंगले ,तो ठेकेदार भी हुए मालामाल*,,,,,,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

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*बीजापुर जिले में सड़कों के नाम पर, 500 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार , अधिकारी – इंजीनियर ने ताने शहरों में बंगले ,तो ठेकेदार भी हुए मालामाल*,,,,,,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

*बीजापुर जिले में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत ,केंद्र सरकार से आई 500 करोड़ से ज्यादा की राशि मे हुआ बड़ा भरस्टाचार*,,,,

बीजापुर:::::::::::::बस्तर संभाग का बीजापुर जिला देश का वह जिला है जहां आजादी के इतने वर्षों बाद कई गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कई गांव में आज तक सड़क बिजली पानी नहीं पहुंच पाया है।
इसका सबसे बड़ा कारण सड़कों का अभाव भी है हर गांव तक सड़कों की पहुंच के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई सड़क निर्माण एजेंसी बनाई गई हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री सड़क निर्माण है। इस निर्माण एजेंसी द्वारा बीजापुर में भी बड़े पैमाने पर गांव में सड़कों का निर्माण हो रहा है किंतु जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालन अभियंता के पद पर आसीन अधिकारी के संरक्षण में कुछ ठेकेदारों द्वारा शासन की योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है।

घटिया सड़क निर्माण के कारण सड़कें कुछ ही दिनों में गड्ढों में तब्दील हो जा रही है।

*सरकार बदलने के बाद चार ईई , चार एसडीओ और 8 इंजीनियर की टीम ने केंद्र सरकार से आये लगभग 500 करोड़ की राशि का ठेकेदारों के साथ मिलकर किया भ्रष्टाचार*

पिछले चार सालों में 4 कार्यपालन अभियंताओ एंव 4 एसडीओ व 8 इंजीनियरो द्वारा कुछ ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार दिया गया
सड़क निर्माण के दौरान बीच में बनने वाले पुल पुलियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।

पुलियों के फाउंडेशन में काक्रीट की जगह बोल्डर डाल कर काम चलाया गया तो सड़क के किनारे की मिट्टी डाल मुरूमीकरण किया गया है।

इन कार्यपालन अभियंताओ के कार्यकाल में हुए कार्यों का अगर बारीकी से जांच कराई जाए तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हो सकता हैै।

*अधिकारियों ने ठेकेदार को उपलब्ध कराए ,पेटी ठेकेदार ने दिया, 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की सड़कों में भ्रष्टाचार को अंजाम*

जिले में पीएमजीएसवाई ग्रामों को मुख्य सडक़ों से जोडऩे के लिए शासन प्रशासन लगातर बीजापुर जैसे पिछड़े क्षेत्र को विकास करने के लिए सडको का निर्माण करा रही है, लेकिन जिन सडको का निर्माण पीएमजीएसवाई कर रही है उन सडको का न तो ठेकेदार का पता है और न ही सडको में गुणवत्ता दिखाई दे रही है ,पूरे कार्य पेटी कांट्रेक्टरो से कराया गया है ,

ये पेटी ठेकेदार अधिकारीयो ने स्वयं ठेकेदारों को उपलब्ध करवाये ,जिन सडको का निर्माण हुआ इन सडक़ों को जमीन पर मिट्टी को पाट कर बनाया गया , इनमें कई सड़कों के एलाईमेंट को बदला गया ,तो कई सड़को में अधूरे पुलियो को पूर्ण दिखा दिया गया, तो कंही पुराने पुलियो में लीपापोती कर नया दिखाया गया ,और उस सडक़ को पीएमजीएसवाई सडक़ का नाम दिया गया है।

पीएमजीएसवाई द्वारा क्षेत्र के गरीब आम जनता को मिलने वाली सुविधाओं का बंदरबाट कर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।

पिछले कई समय से पीएमजीएसवाई की सडको को लेकर भ्रस्टाचार के मामले चर्चे में रहे है ,जिसका आज पर्यन्त तक कोई जांच व कार्यवाही न होना भ्रष्टाचार की ओर खुले तौर पर इंगित करता है।

*भारी भरकम कमीशन के चलते ,नहीं गये अधिकारी इंजीनियर फील्ड में*

ऑनलाइन टेंडर लेने के बाद ठेकदार द्वारा कमीशन में पेटी कांट्रेक्टर को दिया जाता है काम , जिसके बाद पेटी ठेकेदार द्वारा पास की ही मिट्टी को डाल कर सडक़ कार्य मे लीपापोती की जाती है ।

पाइप पुलियों में भी घटिया स्तर के पाइप लगाकर पुल निर्माण कर दिया जाता है, और इस घटिया सडक़ को विभाग के अधिकारी इंजीनियर भारी भरकम कमीशन के चलते फील्ड में जाये बिना आफिस में बैठकर ही काम को पूर्ण ओर बेहतर बताकर बिल पास कर देते थे

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में विभाग के ईई, एसडीओ और इंजीनियर एडजस्टमेंट का खेल खेला . विभाग के कुछ अधिकारी – इंजीनियर स्वयं ठेकेदारी करने भी लग गए थे, ताकि बीलिंग और फर्जी भुगतान को आसानी से अंजाम दिया जा सके. इस दौरान कम दूरी के सड़क निर्माण में अधिक भुगतान भी हुआ . जिसमें करोड़ों का वारा-न्यारा विभाग के अधिकारियों ने किया है

*क्वालिटी कंट्रोल अधिकारियों की जांच सिर्फ खानापूर्ति*

प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनाई गई सडक़ों की गुणवत्ता जांचने दो प्रकार की टीम होती है पहली टीम नेशनल क्वालिटी मॉनिटर जिसे एनक्यूएम बोला जाता है जो केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी होते हैं. दूसरी टीम स्टेट क्वालिटी मॉनिटर जिसे एसक्यूएम कहा जाता है। जिनका काम प्रधानमंत्री सडक़ योजना में हो रहे घोटालों की जाँच करते हैं।

मजे की बात ये है कि ये सब अधिकतर उसी विभाग के रिटायर्ड अधिकारी होते हैं जो एक प्रकार से ओब्लाइज़्ड होते हैं।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के सीईओ द्वारा बनाये गए स्टेट क्वालिटी मॉनिटर से विभाग व अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

सरकारी सेवा से रिटायर्ड थके हुए ये अधिकारी अपना हिस्सा लेकर होटल के एसी रूम में ही बैठकर निर्माण एजेंसियों को ओके रिपोर्ट दे देते थे । ऐसे में घटिया निर्माण या मापदंडों की अनदेखी की बात विभागीय अधिकारियों तक भला कैसे पहुंचेगी।

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