“*मिल बांटकर खाओ, गंगा नहाओ” के तर्ज पर वनाधिकार पट्टे की हुई बंदरबांट, शिकायत के बाद अधिकारियों ने शुरू की जांच, 30 पट्टे अब तक ..* *तेज नारायण सिंह की रिपोर्ट*

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“*मिल बांटकर खाओ, गंगा नहाओ” के तर्ज पर वनाधिकार पट्टे की हुई बंदरबांट, शिकायत के बाद अधिकारियों ने शुरू की जांच, 30 पट्टे अब तक ..*

*तेज नारायण सिंह की रिपोर्ट*

रायगढ़ ::::::::: घरघोड़ा रेंज के ग्राम भेंगारी में लगभग 70 एकड़ वनभूमि का बंदरबांट किया गया है।

30 लोगों को विभाग से बिना जांचे ही पट्टा का आवंटन कर दिया गया।

जिसमें कई जनप्रतिनिधि और अपात्र लोग शामिल है।

जब मीडिया में यह खबर आई तो विभाग में हड़कंप मच गया।

आनन फानन में अफसरों ने जांच शुरू कर दी। 30 वनाधिकार पट्टों को संरक्षित किया गया है।

जांच के बाद पात्र लोगों को पट्टा दिए जाने की बात कही जा रही है।

बिगड़े पर्यावरण को बचाने प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार के द्वारा जागरूकता अभियान के तहत अधिक से अधिक पेड़ लगाने आम जन से अपील की जाती है।

मगर वर्तमान परिदृश्य देख लगता है कि सरकार के द्वारा पर्यावरण को बचाने की चिंता सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई है।

ऐसा ही एक मामला इन दिनों घरघोड़ा क्षेत्र के ग्राम भेंगारी में सामने आया हैं जहां कुछ लोगों को शासन ने बगैर जांच पड़ताल के पट्टा के वितरण कर दिया।

रायगढ़ जिले के घरघोड़ा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम भेंगारी में सितंबर 2021 के तहत बने प्रस्ताव में 30 लोगों को तकरीबन 70 एकड़ जमीन वन अधिकार पट्टा देने की सहमति बनी।

गांव के ग्रामीणों के अनुसार इसके तहत पात्र हितग्राहियांे को छोड़कर कई ऐसे अपात्र लोगों को विभाग ने आंख मूंदकर वन अधिकार पट्टा दे दिया गया।

प्रशासन की अनदेखी के बाद मामला ग्रामीणों के माध्यम से मीडिया के संज्ञान में आया।

मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद विभाग ने जांच शुरू की है। शनिवार को टीम मौके पर जांच के लिए गई थी। घरघोडा वनविभाग के एसडीओ मनोज विश्वकर्मा ने मुनादी से हुई बातचीत में बताया कि यहां से आवंटित किए गए 30 वनाधिकार पट्टों को विभाग ने संरक्षित किया है। जांच के बाद केवल पात्र लोगों को ही पट्टा दिया जाएगा।

*200 पेड़ों की कटाई कर जेसीबी से बनाया रास्ता *

ग्रामीणों के अनुसार वनोपज से आजीविका चलाने के बजाए पिछले कुछ दिनों से जंगल में जेसीबी लगाकर दो सौ से अधिक छोटे बड़े हरे भरे पेड़ पौधों की बलि चढ़ा दी गई।

समतलीकरण कर रास्ता बनाया जा रहा था। गांव के ग्रामीणों के अनुसार पेड़ कटाई में कुछ भू-माफिया भी शामिल हैं जो जंगलों को काटकर समतल कर रहे हैं ताकि आने वाले दिनों में इसे बेचा जा सके या फिर इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा सके।

गांव में रहने के लिए घर नहीं और खेतों को भी पात रहे माफिया

जब मौके पर जांच के लिए टीम पहुंची तो अफसरों के सामने ही गांव वाले छत्तीसगढ़ी बोली में बोल रहे हैं कि “गांव में रहे बर घर नई ए आऊ एमन खेत ला भी पाट दिन” यानी की गांव में रहने लायक जगह नहीं बची है। लेकिन भू माफियाओं से खेत भी नहीं बच पा रहे हैं। पात्र लोगों को भूमि मिलने पर वह अपनी आजीविका चलाने के लिए इसका उपयोग करते लेकिन माफिया इसे अपना धंधा बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही थी।

लिस्ट में शिक्षक के परिजन, बीडीसी परिवार के अलावा सचिव के परिजन भी शामिल

गांव के ग्रामीणों के अनुसार घरघोड़ा ब्लाक के भेंगारी ग्राम पंचायत में जिन 30 लोगों को वन भूमि पट्टा आबंटन हुआ है उसमें दीपक दुर्गेश, लोकेश, दीपक और ललिता ग्राम सचिव के परिजन हैं वहीं रिखीराम, पुनीराम के अलावा कृष्णा पटेल बीडीसी के परिजन हैं। इसके अलावा एक शिक्षक के परिजन भी इस लिस्ट में शामिल है।

गांव वालों ने यह भी बताया कि वन अधिकार पट्टे के लिये आवेदन करने वालों में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो बड़ी मात्रा धान बेचते हैं और पात्र हितग्राही हैं उनका नाम भी इस लिस्ट में है जो अपने आप में अचरज की बात है।

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