*जनसंख्या अनुपात में ,आरक्षण कटौती का विरोध, छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ एवं, गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति समाज के साथ*,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*
रायपुर::::: गोंडवाना भवन टिकरापारा, रायपुर में दिनांक 18.08.2016 को आयोजित भोजली महोत्सव में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी (भाजपा सरकार) द्वारा सामाजिक शिक्षा, संस्कृति, धार्मिक एवं गोंडी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अटल नगर, नवा रायपुर में शासकीय सहयोग से 5 एकड़ जमीन देने तथा भोजली महोत्सव कार्यक्रम हेतु प्रति वर्ष 5 लाख रू. समिति को आवंटित कर राजपत्र में प्रकाशित करने की घोषणा की गई थी, जो वर्तमान में समिति को अप्राप्त है।
जबकि इस संबंध में कई बार वर्तमान कांग्रेस सरकार से आवेदन निवेदन किया जा चुका है।
सार्वजनिक मंच में भाजपा सरकार की घोषणा पर अमल नहीं हो पाना जनभावनाओं एवं लोकतंत्र के विपरीत है।
आमजन मुख्यमंत्री के गरिमामय पद पर सुशोभित व्यक्ति एवं उनकी पूरी टीम को किसी जाति, धर्म, पार्टी विशेष का नहीं बल्कि प्रदेश का मुखिया व प्रदेश सरकार के रूप में देखती है।
वह यह नहीं जानती की सरकार प्रदेश की नहीं, बल्कि किसी पार्टी विशेष की होती है।
अतः जनभावनाओं के सम्मान में कांग्रेस सरकार से विनम निवेदन है कि इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का कष्ट करें।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने वर्ष 2012 में (अ.जा., अजजा एवं अन्य पि.वर्ग सामान्य वर्ग) आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी किया था, जिसके विरुद्ध गुरूघासीदास साहित्य समिति के.पी. खांडे एवं डॉ. के. पी. साहू सहित अन्य द्वारा दी गई चुनौती पर दिनांक 19 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पी.पी. साहू के डिविजन बेंच ने माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत तात्कालिक सरकार के निर्णय को असंवैधानिक करार दिया है तथा राज्य के लोकसेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया गया है।
इस कारण अजजा वर्ग का आरक्षण 32% प्रति से घटकर 20% प्रति हो गया, जबकि अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% प्रति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% प्रतिशत हो गया है।
आरक्षण कोई भीख नहीं बल्कि भारतीय संविधान द्वारा इस देश के मूलनिवासियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार है, जिसका अक्षरसः पालन करना, कराना किसी भी प्रदेश व केन्द्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता, नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
किंतु सत्ता दल अपनी नाकामी छुपाने व राजनैतिक स्वार्थ के लिए उपयोग करना चाहती है तथा आरक्षित वर्ग के लोगों को बेचारा बनाने का प्रयास किया जाता है।
राज्य व केन्द्र सरकार किसी ने भी मूलनिवासियों को प्रदत्त आरक्षण एवं संवैधानिक अधिकारों का अक्षरस पालन नहीं किया, जिसके कारण आज भी आरक्षित वर्गों की स्थिति बहुत ही दयनीय है ।
वहीं न्यायालयीन प्रकरण एवं लचीली कानूनी कार्यवाही के कारण फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर लाखों लोग राज्य व केन्द्र सरकार के विभिन्न पर्दों पर बेखौफ सरकारी नौकरी पर पदासीन हैं, कई लोग सेवानिवृत्त हो चुके है, जिस पर सक्त, शीघ्र कार्यवाही एवं सरकार स्वयं जिम्मेदारी लेते हुए आरक्षित समाज को न्याय दिलाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में सुस्पष्ट वर्गवाईस जनसंख्या का मूल्यांकन कर सामाजिक न्याय के सिद्धांत के तहत् जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाना न्यायोचित है, ताकि माननीय हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का भी सम्मान हो।
आदिवासी नृत्य महोत्सव – आदिवासियों का उपहास या सम्मान ?
एक ओर कांग्रेस सरकार आदिम परंपराओं और विरासत के संरक्षण हेतु सरकार कटिबद्ध होने का दावा करती हैं, वहीं उक्त आरक्षण को चुनौती देने वाले के. पी. खांडे को प्रमोट कर राज्य अनुसूचित जाति का अध्यक्ष बनाया जाना तथा आदिवासियों के आरक्षण में हुई कटौती के बाद भी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव कराकर देश, दुनिया के आदिवासियों को नृत्य प्रदर्शन कराना, खुशी मनाना क्या आदिवासियों का उपहास है या
सम्मान ? कांग्रेस सरकार से विनम्र निवेदन है कि तत्संबंध में तत्काल ही विधानसभा की विशेष सत्र बुलाया जाये
तथा अध्यादेश लाकर पूर्ववत् जनसंख्या अनुपात में आरक्षण 32 प्रतिशत को सुनिश्चित किया जाये।
आर्थिक नाकेबंदी में समाज का साथ
सर्व आदिवासी समाज द्वारा आरक्षण कटौती के मुद्दे पर दिनांक 15 नवंबर 2022 को प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आर्थिक नाकेबंदी करने की घोषणा की गई है, समाज हित में छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ एवं गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति समाज के साथ है। सम्पूर्ण आदिवासी समाज एकजुट हैं।