*खंड शिक्षाधिकारी और कार्यालय बाबूओ पर, सहायक शिक्षको के प्रमोशन में, रिश्वत लेने का आरोप, शिकायत कलेक्टर से किया गया *
,,,,,,तेजनारायण सिंह की रिपोर्ट,,,,,,
आवापल्ली:::::::::जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्र के विकास खंड के शिक्षको ने खंड शिक्षाधिकारी और कार्यालय के बाबूओ पर सहायक शिक्षको के प्रमोशन में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है, इसकी शिकायत कलेक्टर से किया गया है ।
बीजापुर जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्र विकास खंड – उसूर मुख्यालय- आवापल्ली मे स्थित खंड शिक्षा अधिकारी और कार्यालय के बाबूओ पर समस्त सहायक शिक्षको के प्रमोशन मे रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया है।
इसकी शिकायत कलेक्टर से किया गया है।
शिक्षको का आरोप है कि खंड शिक्षा अधिकारी और कार्यालय के बाबूओ द्वारा सहायता शिक्षकों के प्रमोशन प्रकरण में सर्विस बुक त्रुटि सुधार एवं डी.ए. पी., डी.एड., अंक सूची आदि प्रमाण -पत्र को सर्विस बुक में इंद्राज करने और सुधार के लिए खंड शिक्षाधिकारी के निर्देशन में बाबूओ के द्वारा शिक्षकों से 20,000 से 30,000/- रुपये मांग कर रहे हैं. जो शिक्षक राशि नहीं दे रहे हैं उनके सर्विस बुक में सुधार, डी.ए. पी और डी.एड. इंद्राज नहीं किया जा रहा है।
एक शिक्षक ने इसका विरोध किया तो , उसे धमकी दिया गया है कि तेरा नाम प्रमोशन लिस्ट से काट दिया जाएगा।
एक शिक्षक ने उक्त मामले का चुपके से मोबाइल के द्वारा विडियो बनाया है, किन्तु विभाग के बदनामी के डर से वह वायरल नहीं किया है।
इस प्रकार रुपये नहीं देने के स्थिति में योग्यता रखते हुए कही प्रमोशन से वंचित ना हो जाए?
उन्होंने कलेक्टर महोदय जी से मांग की है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए समस्त सहायक शिक्षकों हित में उसूर खंड शिक्षा कार्यालय को निर्देशित करे कि समस्त सहायक शिक्षकों की अंक सूची, डी.ए. पी और डी.एड. इंद्राज करे . जिससे कि योग्यता रखने वाले शिक्षको का प्रमोशन हो सके।
यह शिकायत 3/10/22 को कलेक्टर महोदय के नाम से जिला कार्यालय बीजापुर शाखा- जिला शिक्षाधिकारी के से आवक – जावक क्रमांक- 346/03/10/22 को जमा किया गया ।
हम इस पत्र की पुष्टि नहीं करते क्योंकि यह पत्र विशेष सूत्रों से मिला है।
साथ ही एक सहायक शिक्षक ने नाम ना छापने के शर्त पर बताया है कि खंड शिक्षा कार्यालय में संलग्न एक भृत्य अपने आप को कार्यालय का साहब समझता है।
इस भृत्य का कार्य क्षेत्र माध्यमिक शाला- चेरकडोडी है किन्तु इस भृत्य पर तत्कालीन खंड शिक्षाधिकारी का वरदहस्त था जो कि वर्तमान खंड शिक्षाधिकारी के समय भी कार्यालय में पदस्थ है।
अब देखना है कि इस मामले को उच्चाधिकारियों द्वारा किस तरह संज्ञान में लिया जाता है?
भृत्य को मूल संस्था में भेजा जाता है या यही पर पदस्थ रहेगा?