छत्तीसगढ़ के चीता की खाल तेलंगाना राज्य में पकड़ाया 6 लोग गिरफ्तार
,,,,,,,,,,,तेजनारायण सिंह की रिपोर्ट,,,,,,,
भोपालपटनम। बीजापुर जिले उसूर ब्लॉक के अति संवेदनशील क्षेत्र तेलंगाना राज्य के सीमा से लगे हुए पामेड़ क्षेत्र जोकि वन विभाग का बफर क्षेत्र है उन घने जंगलों में चीता घूमने की खबर सुनकर इरूपा नागेन्द्र बाबू एवम पोलम वेंकटेश ने योजना के तहत जंगल में चीता घूमने की एरिया को चिन्हित कर एक फंदा लगाकर चीता का शिकार किया। और उसके खाल के सहित उसके अवयवों को सुखा कर महाराष्ट्र ले जाकर मोटी रकम में बेचने का योजना बनाएं। इस षडयंत्र में अपने साथी मित्र तेलंगाना राज्य की शंकर राजू पल्ली ग्राम के पार्सबोइना राकेश वाजेड मंडल येदुजेरला ग्राम के येर्रगतला श्रीकांत आंध्र प्रदेश राज्य पश्चिम गोदावरी जिला कुकुनूर मंडल के दचाराम ग्राम के बुर्री साई कुमार वही मंडल ग्राम के बेस्तावाड़ा के निवासी बोम्मकनंती किशोर के साथ मिलकर मोटी रकम कमाने के तलाश में खाल को महाराष्ट्र बेचने के लिए ले जाते समय तेलंगाना राज्य भूपाला पल्ली जिला महादेवपुर पुलिस के हत्थे चढ़ गए। भूपलापल्ली एस पी एवं राज्य के वन विभाग के नेतृत्व में वन्य जीव और सागौन लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने की योजना बनाकर काम कर रही है। जिसके तहत पुलिस रोज की तरह चेकिंग कर रहे थे की। वे अपने मोटरसाइकल में जा रहे थे। शक के आधार पर पुलिस इनको रोककर इनसे पूछताछ कर पास के बैग की तलाशी लेने पर बैग में चीता का खाल पाया गया। पुलिस ने शक्ति से तस्करों से पूछताछ करने पर बताया कि हम लोग इस खाल को महाराष्ट्र में मोटी रकम में बेचने हेतु ले जा रहे थे। बताया जाता है कि जिसकी कीमत लगभग 30 लाख रुपाए है। इनके पास से 2 नग मोटरसाइकिल 5 नग मोबाइल फोन ₹3000 नगद जप्त किया गया है। इन पर वन्य प्राणी एक्ट के तहत धारा लगाकर वन विभाग को सौंपा दिया गया है। ज्ञात हो की इससे पूर्व भी तेलंगाना राज्य के मुलुगू जिला येटूरनागरम के पास छत्तीसगढ़ से शेर का खाल ले जाने वाला तस्कर पकड़ा गया था। छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना राज्य कि वन विभाग आपस में तालमेल बनाकर लकड़ी एवं वन्य जीव तस्करों की लगाम लगाने योजना बनाई लेकिन इससे यह पता चलता है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग इस योजना में असफल है ।जब भी तस्कर पकड़ा रहे हैं तेलंगाना में ही पकड़ा रहे हैं। जबकि केंद्र राज्य सरकारें लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर बफर क्षेत्रों में वन्यजीवों के संरक्षण व सुरक्षा के लिए योजनाएं बना रही है। इस प्रकार की घटनाओं को देखकर यह महसूस हो रहा है। की विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अपने कर्तव्य के प्रति निष्क्रिय होते हुए दिखाई दे रही है क्योंकि आए दिन छत्तीसगढ के बेशकीमती सागौन लकड़ी एवम वन्य जीवों का हत्या कर उसके खाल व अन्य वस्तुओं को बेचने में तस्कर अपनी सक्रियता दिखा रहे है। आखिर उसूर ब्लाक के वन अमला क्यों सक्रिय नही है क्या वन मंडला अधिकारी की मौन स्वीकृति मिल रही है