” कौन पड़ेगा, विक्रम मंडावी पर भारी ” *भोपाल पटनम से जर खान की रिपोर्ट,,,,,,,*

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” कौन पड़ेगा, विक्रम मंडावी पर भारी ”

*भोपाल पटनम से जर खान की रिपोर्ट,,,,,,,*

बीजापुर, भोपाल पटनम ,:::::::::: विधानसभा के चुनाव टिकट को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है. जहाँ सत्ता पक्ष में काबिज विधायक का टिकट तय है किन्तु विपक्ष में दो प्रमुख दावेदार है ।

चुनाव के समय और ना जाने कितने दावेदार कुर्सी के लालसा में भाग्य आजमा सकते हैं?

अब देखना है कि ” सत्ता पक्ष के विधायक पर, विपक्ष का कौन सा दावेदार भारी पड़ेगा “?

चुनाव में अभी लगभग एक वर्ष शेष रह गया है. अभी से ही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सब अपनी अपनी दावेदारी के लिए संगठन के साथ ही उच्च स्तर के राजनीतिक आका से सम्पर्क साध रहे हैं. ।

जिससे अपना टिकट आसानी से पा सके? लेकिन टिकट पाना इतना आसान भी नहीं है. ।

भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने एक दशक तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. राजेन्द्र पामभोई को पराजित किया. द्वितीय बार उन्होंने विक्रम शाह मंडावी को पराजित किया. तब छत्तीसगढ़ शासन में उन्हें केबिनेट मंत्री बनाया गया. दोनों चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को आंतरिक गुटबाजी से हार का सामना करना पड़ा. तृतीय बार गागड़ा को अपने खाटी कार्यकर्ताओं की अनदेखी और चापलूसों फौज की देखी व सत्ता पक्ष के प्रति जनमानस के रोष का सामना हार के रुप में देखना पड़ा. शायद छत्तीसगढ़ राज्य में किसी भी मंत्री को इतनी अधिक मतो से पराजित होना पड़ा हो? विधायक विक्रम शाह मंडावी को गागड़ा ने लगभग दस हजार मतो से और विक्रम शाह मंडावी ने गागड़ा को दूगने मतो से पराजित किया. ” हार का बदला, हराकर लिया “.
अब द्वितीय टिकट के भाजपा के दावेदार उच्च स्तर के एक न्यायिक अधिकारी है. इनका राजनैतिक सफर छात्र जीवन से प्रारंभ हुआ. वे बस्तर संभाग के कॉलेज के निर्वाचित उपाध्यक्ष रहे. संघ के स्वयं सेवक रहे हैं और संघ शिक्षा के द्वितीय वर्ष पास है. ।

क्षेत्र में युवा पीढ़ी को भाजपा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. इनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि है. उनके पिता स्व. श्री सत्यनारायण केतारप को 2008 में बस्तर के शेर कहे जाने वाले तत्कालीन सांसद स्व. श्री बलीराम कश्यप ने चुनाव का टिकट फायनल कर दिया किन्तु उनका खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए टिकट लेने से मना कर दिया तथा अपनी जगह जिला पंचायत सदस्य महेश गागड़ा का नाम प्रस्तावित किया. जबकि पर्यवेक्षक द्वारा राजाराम तोड़ेम का नाम संगठन को भेजा था.।

केतारप परिवार जिले में एक जाना माना उच्च शिक्षित परिवार है. भैरमगढ़ ब्लॉक के अलावा अन्य ब्लॉकों में पारिवारिक संबंध व उनके छात्र जीवन के कई मित्र शासकीय पदो पर पदस्थ है.।

छात्र जीवन से ही समाजसेवी, मिलनसार, अपने समाज के साथ ही अन्य समाज में गहरी पकड़ है.न्यायिक अधिकारी तथा परिवार के कुछ सदस्य जज है.।

आसपास के ग्रामीण इनके पास न्यायिक सलाह लेने आतें है. ग्रामीणों में अच्छी पैठ है. सूत्रों के अनुसार संगठन और उच्च स्तर के राजनीतिक आकाओ ने आने वाले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है.।

भाजपा में भी दिग्गज नेता की कमी नहीं है. महेश गागड़ा के समय में भाजपा के जनाधार नेता वेंकट गुज्जा को दंतेवाड़ा का प्रभारी बनाया गया है. भाजपा के आधार स्तंभ कहे जाने वाले नेता बसंत राव ताटी ने भाजपा को 2013 में अपनी अनदेखी का आरोप लगाकर लगभग चार वर्ष पूर्व कांग्रेस का चोला पहन लिया है.
ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में कांग्रेस- भाजपा के अलावा कोई दल स्वीकार्य नहीं है. ।

देखना है कि भाजपा इन दोनों में से किसको अपना उम्मीदवार बनाती है. दोनों ही क्षेत्र में अपना लगातार जनसम्पर्क में व्यस्त है. टिकट के लिए दोनों ही प्रयासरत है.।
अब भाजपा को ही सोचना होगा कि विक्रम शाह मंडावी पर कौन भारी पड़ेगा? इधर विधायक विक्रम शाह मंडावी भी विधायक बनने से पूर्व अतिसंवेदनशील क्षेत्र में भी ग्रामीणों से सदैव सम्पर्क में रहे है और विधायक बनने के बाद भी क्षेत्र के लोगों से जीवंत संवाद बनाये हुए है.
अगर भाजपा प्रत्याशी चयन में पारदर्शिता करेगी तो संभव है नया प्रत्याशी भाजपा के लिए लाभदायक हो सकता है?

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