7 अक्टूबर को, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे, शहीद वीर झाड़ा सिरहा प्रतिमा का अनावरण,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,,

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7 अक्टूबर को, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे, शहीद वीर झाड़ा सिरहा प्रतिमा का अनावरण,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,,

जगदलपुर :::::::: शहर के सिरहासार भवन के समीप स्मारक के बगल में शहीद वीर झाड़ा सिरहा की प्रतिमा स्थापित की गई हैं। जिनका अनावरण आगामी 7 अक्टूबर को मुरिया दरबार में शामिल होने पहुंचेगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किया जाएगा।

ज्ञात हो कि मुरिया समाज के युवा प्रभाग अध्यक्ष हेमराज बघेल के नेतृत्व में कोया समाज भवन जनजाति सम्मेलन भेंट – मुलाकात के कार्यक्रम दौरान प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल से मांग किया गया था कि शहीद वीर झाड़ा सिरहा का आदमकद प्रतिमा सिरहासार भवन में स्थापित करने की घोषणा की थी। समाज के मीडिया प्रभारी पूरन सिंह कश्यप ने बताया कि झाड़ा सिरहा आगरवारा परगना के मांझी , सिरहा और गुनिया थे ।

झाड़ा सिरहा ने राज महल के समीप क्रांतिकारियों के रूकने के लिए एक झोपड़ी बनाया। जिसमें सभी परगनों के समस्या, झाड़ फुख, सुख दुःख , समाजिक कार्यवाही का समीक्षा करते थे। इस पवित्र स्थान को सिरहा अर्थात “सिरहा चो सार” या “सिरहा चो खोली” कहा जाने लगा। इससे रथ बनाने वाले ठहरते हैं तथा जोगी बीठाई जाती है। इस ऐतिहासिक पंरपरा को बनाये रखने के लिए सिरहासारभवन को झाड़ा सिरहा स्मृति सिरहासार भवन के रूप में चीन्हाकीत किया गया है।

झाड़ा सिरहा लाल पगड़ी रस्म के सूत्रपात थे 2 मार्च 1876 को इस ऐतिहासिक घटना को घटित करने वाले एक गुप्त बैठक झाड़ा सिरहा की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक में भावी रणनीति तैयार की गई।

क्रांतिकारियों संघर्ष के इतिहास में इससे लाल दिवस जाता है, लाल पगड़ी इसका प्रतीक चिन्ह था।

आज भी बस्तर दशहरा उत्सव में महाराजा माल गुजार , जमींदार , नाईक पाइक ,मांझी, मुखिया , मेमरीन को लाल पगड़ी से सम्मानित करते हैं।

ग्राम बड़े आरापुर के मुरिया विद्रोह को ब्रिटिश हुकूमत ने राजा से लेकर राजा से लेकर उसके छोटे छोटे कर्मचारियों को इस विद्रोह के लिए जिम्मेदार ठहराया।

इसके समाधान के लिए ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर मेक जार्ज को बस्तर भेजा गया।

झाड़ा सिरहा ने राजमहल में बैठक कराने से मना कर दिया। झाड़ा सिरहा ने अपने कुटिया में बैठक करने के लिए डिप्टी कमिश्नर को सहमति दी।

08 मार्च 1876 ईस्वी को उन्होंने जगदलपुर में पहली बार दरबार आयोजन सिरहा सार में संपन्न हुई।

इस बैठक में सिर्फ आदिवासीयो ने अपना समस्या बताया। इस दरबार मे झाड़ा सिरहा का ही बात चलता रहा।

ऐसे बस्तर के जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ने वाले शहीद वीर झाड़ा सिरहा के प्रतिमा सिरहा सार भवन में भव्य रूप से स्थापित होंगी ।

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