आदिवासी महा सभा ने ,विशाल आंदोलन की, 12 सुत्रीय मांगों के साथ धरना प्रदर्शन, रोजगार गारंटी योजना में , नगद भुगतान की मांग,,,,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,

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आदिवासी महा सभा ने ,विशाल आंदोलन की, 12 सुत्रीय मांगों के साथ धरना प्रदर्शन, रोजगार गारंटी योजना में , नगद भुगतान की मांग,,,,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,

सुकमा ::::::::: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सीपीआई ने विशाल आंदोलन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनीष कुंजाम के नेतृत्व में किया, सिलगेर से जन सैलाब के साथ सात दिनों की पदयात्रा की और सुकमा मुख्यालय के मिनी स्टेडियम में हजारों जन सैलाब के साथ धरना प्रदर्शन की, उक्त धरना प्रदर्शन मिनी स्टेडियम ग्राउंड में जन सैलाब खचाखच भरे मिनी स्टेडियम में नजारा देखने को मिला ,आप को बता दें, सिलगेर से पदयात्रा सुकमा तक पहुंचने के लिए लगभग 115 किलोमीटर की सफर को सात दिनों में तय किया गया, आंदोलनकारियों ने पदयात्रा के दौरान भोजन व ठहरने के लिए स्वयं की व्यवस्था के साथ पदयात्रा की पदयात्रा के दौरान बहुत से कठिनाई के साथ पदयात्रा सफल रहा,अगर हम बात करें सड़क मार्ग की सिलगेर से राष्ट्रीय राजमार्ग एन एच 30 तक सड़क व पुल निर्माण नहीं किया गया है। कच्चे रास्ते व नदी, नाले से पानी में पार कर पदयात्रा की, इधर जगदलपुर मार्ग व दन्तेवाड़ा मार्ग से हजारों की संख्या में सुकमा जिले के प्रत्येक गांव से लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनीष कुंजाम ने कहा कि, मंत्री श्री कवासी लखमा पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा मंत्री जी जनता के साथ छल किया है। जिससे जनता के सामने जाने के लिए पेट में दर्द हो रही है। इसलिए हमको सिलगेर से पदयात्रा के लिए पदयात्रा की अनुमति नहीं दी, उन्होंने कहा लखमा राम चुनावी नेता नहीं है। लोगों को झूठे वादे करने वाले नहीं हैं। आने वाले समय में जनता ही बतायेगी , कल श्री मंत्री कवासी लखमा राम को पुछने वाले नहीं मिलेगे, कवासी लखमा राम डरपोक और कायर लोगों में से एक है। हमने लोहंडीगुड़ा में भी जन आंदोलन की कितने आदिवासियों का भला किया चंद ठेकेदारों को भलाई किया है। कवासी लखमा राम किन के लिए काम किया है कभी भी आदिवासियों का काम नहीं किया,मनीष कुंजाम को हराने के लिए कोई नहीं था ना बीजेपी ना कांग्रेस रही लखमा राम तो सैगोन लकड़ी का दलाली कर रहा था,जब चुनाव आती है।तो बकरा मुर्गा खिला पिला करता है।श्री कवासी लखमा राम ने कई वर्ष पहले स्वाभिमान पर हमला किया था,वो तो अनपढ़ हैं। क्या जाने जनता की आवाज, बहुत बड़े बड़े वादे किए पेसा कानून लागू करेंगे जेल बंद निर्दोष लोगों को रिहा करगे, कहा गई अनगिनत वादे,सिलगेर कांड को लेकर 17 महिने हो गये धरना प्रदर्शन करते हुए,चार लोगों को को हत्या किया कई लोगों को घायल किये,पेसा कानून को बंटाधार किया गया,
कुल मिलाकर सरकार चल नहीं रही है सिर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार से लिप्त है। पोटा केबिन के अधिक्षक बनाने के लिए एक लाख दो लाख रिश्वत लिया जाता है। ऐसे लोगों को लखमा राम संरक्षण दे रहे हैं, जो भी ठेकेदार अनियमितता किया है उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए,बस्तर फाइटर्स में स्थानीय बेरोजगारों को भर्ती किया जाना चाहिए,शिक्षक भर्ती में भी स्थानीय बेरोजगारों को भर्ती किया जाना चाहिए,
सिलगेर की लड़ाई नक्सली कर रहे हैं । बताया गया अभी सिलगेर तक सड़क निर्माण करना चाहते हैं। जिसको निर्माण करना चाहिए अभी फिलहाल जगरगुंडा तक तो निर्माण करिए
लखमा राम की सोच सिलगेर में हमको वोट नहीं मिलता है वहां क्यों जाये, कवासी लखमा राम जी वोट के भूखे हैं, जनता की परवाह नहीं है।हम जनता के लिए लड़ेंगे जितेंगे या हारेंगे ।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि संवैधानिक अधिकार कानूनी अधिकार के तहत पदयात्रा की ,पांचवीं अनुसूची हो या पेसा कानून पालन होनी चाहिए
इससे दुर्भाग्य क्या हो सकता है जनता की आजादी के लिए पदयात्रा करते हैं राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए बहुत मेहनत किये उक्त कानून लाने के आज 75 वर्ष के बाद भी हम आंदोलन कर रहे हैं कानून को लागू करने का काम राज्य व जिला प्रशासन का कार्य है।
अंग्रेजी साम्राज्य से टकराये जल जंगल जमीन के लिए लड़ाई की आज हमको लड़ने के लिए मजबूर मत करिए,
हमरा मूल अधिकार है जल जंगल जमीन का ऐ पेसा कानून में है। पेसा कानून को राज्य सरकार कमजोर कर रही है।इसको गंभीरता के साथ राज्य सरकार जिला प्रशासन को लेकर चलना चाहिए,सिलगेर अभी तक शासन प्रशासन की पहुंच नहीं है। न्यायिक जांच हुई है। तो समझने की जरूरत है। राज्य सरकार से जानना चाहते हैं, जनता के साथ है।या पुलिस वाले के साथ है।
कानून हैं तो कानून के हिसाब से कार्य करें अगर मनमानी करते हैं तो हम बर्दाश्त नही करेगें,अधिकारी अभी तो राजनीतिक भाषा बोल रहे हैं अगर स्थित सुधरा नहीं राज्य सरकार तो बस्तरिया समाज अलग राज्य का मांग कर सकता है।लखमा राम जी कितना भी उडिये आखिर जमीन पर ही चलना पड़ेगा ।

***इस बारह सुत्रीय मांगों के साथ आंदोलन की,,,,,,

संशोधित व नियम 2022 को वापस लिया जाए ,पेशा कानून के मूल मंशा के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा नियम नहीं बनाया गया है पेशा कानून को कमजोर किया गया और काफी नियमों में स्पष्टता नहीं है और विरोधाभासी है। इसमें हरगिज गांव को स्वायत्ताता नहीं मिलेगा किसी तत्काल ठीक किया जाए, बस्तर के जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को वादे के मुताबिक तत्काल छोड़ा जाए, सिलगेर सहित अनेक गांव में करीब 16 महीने से जिन मांगों को लेकर लगातार शांतिपूर्ण धरना आंदोलन किया जा रहा है उन मांगों को पूरा किया जाए गौण खनिज के लिए ग्राम सभा के अनुमति के बगैर दिया गया है। इसे तत्काल निरस्त किया जाए, सारकेगुडा एडसमेटा जांच कमीशन रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई किया जाए, रोजगार दो या बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य किया जाए,हर पारा मोहल्ला में पेयजल व्यवस्था किया जाये जिन गांव पाराओ में बिजली नहीं पहुंची है। वहां बिजली पहुंचाई जाये, बस्तर संभाग के सभी जिलों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधार हेतु डाक्टरों स्वास्थ्य कर्ताओं के रिक्त पदों को तत्काल भर्ती किया जाये व इस भर्ती में स्थानीय बेरोजगारों को लिया जाए, रोजगार गारंटी में मजदूरी भुगतान रोजगार गारंटी कानून में निर्धारित समय में नगद भुगतान किया जाये व मजदूरी दर में वृद्धि किया जावे,
नगरनार स्टील प्लांट को केंद्र सरकार निजीकरण शीघ्र करने जा रही है। उसके खिलाफ संघर्ष तेज किया जाए छत्तीसगढ़ में आंदोलनरत कर्मचारियों की मांगें पूरी की जावे।
इस धरना प्रदर्शन के दौरान मौजूद रहे, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनीष कुंजाम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, रामा सोडी, आराधना मरकाम, देवा मरकाम, समेत अन्य भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रही।

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