घाट कवाली के आदिवासियों की एक अनूठी परंपरा, सोने की नाव और चांदी की पतवार भेंट कर नवा खानी त्यौहार मनाने से पहले मांगी जाती है अनुमति,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,,,,,,,
जगदलपुर::::::
बस्तर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर बस्तर विधानसभा क्षेत्र के रायकेरा परगना ग्राम पंचायत घाटकवाली में इंद्रावती नदी किनारे नावघाट में परम्परा अनुसार हर साल की तरह नवा खानी त्यौहार मनाने से पहले मांगी गई अनुमति।
गांव के ग्रामीण और ग्राम पुजारी मंगतू राम कश्यप के द्वारा गांव की जिमेदारिन जलनी माता की क्षत्र को लेकर इंद्रावती नदी के किनारे नावघाट में एकत्र हुए।
ग्राम पुजारी के द्वारा गांव की जिमेदारिन जलनी माता की छत्र की सेवा अर्जी किया गया और सोने का नाव चांदी का पतवार,साटका धान की बाली, लाई चना, लांदा, गुड़, चिवड़ा अंडा चढ़ाया गया और सफेद बकरा,चोका मुर्गा , चोकी मुर्गी की बली दे कर नवा खानी त्यौहार मनाने के लिए अनुमति मांगी गई और सोने की नाव चांदी की पतवार को इंद्रावती नदी में प्रवाहित किया गया ।
और सेवा। अर्जी पूरा होने के बाद ग्राम पुजारी मंगतू राम कश्यप ने बताया कि आने वाले 6 सितंबर को गांव मे नवा खानी त्यौहार मनाने की अनुमति मिली है ।
गांव के पूर्व सरपंच सुकरु राम कश्यप ने बताया कि यह परंपरा पुरखो से चली आ रही हैं। सभी गांव में नया खानी त्यौहार मनाने पहले यहां की देवी को सबसे पहले यह रस्म निभाया जाता है। और आज भी गांव के सभी लोग मिलकर इस घाटजात्रा को पारंपरिक रूप से मनाते हैं।
इस घाटजात्रा में गांव के गोंचूराम कश्यप, लखेश्वर कश्यप, लच्छिन कश्यप, श्यामसुंदर कश्यप, जुगल कश्यप, पंडरू कश्यप, बुधराम, हुमाशंकर, धुंधु, सीताराम,भजन, विजय कश्यप के अलावा करंजी, भाटपाल, चोकर, कुड़कानार के ग्रामीण भी शामिल रहे।