मनीष कौशिक मोहला
मोहला :— आजादी के सात दशक बाद भी जिले के वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र के लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिले की कुल जनसंख्या करीब 5 लाख के आसपास हैं जिसमें 150 से ज्यादा ग्राम पंचायत हैं ग्रामीण अंचल के लोग आज भी मूलभूत समस्याओं से वंचित हैं। जिले के वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र में आज भी आवागमन सड़क,बिजली, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, एवं संचार सुविधा सहित अनेकों समस्याएं बनी हुई हैं,खासकर वनांचल क्षेत्र में विकास नहीं हो पाए हैं। आजादी के बाद भी वन ग्रामों के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। वनांचल क्षेत्र में योजना का कार्यान्वयन सिर्फ कागजों में ही हो रहा है, आजादी की सही मायने तभी होंगे जब प्रत्येक नागरिक को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होगी।जानकारी के अनुसार जिले में विकास के दावों की पोल विकासखंड निवास के कई पिछड़े और वनांचल क्षेत्र की बदहाल स्थिति खुल रही है। दरअसल यह है कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी ग्राम पंचायत शेरपर के आश्रित ग्राम अंगारा के जनता मूलभूत समेत अन्य सुविधाओं से वंचित हैं। शेरपार से लगभग 3 किलोमीटर पहुंच मार्ग अंगारा तक नहीं है। जिसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पेयजल के लिए भी कच्चे मार्ग से आवागमन करना पड़ता है। बारिश के सीजन में इस जर्जर मार्ग से पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। इस ग्राम के लोगों को मुख मार्ग तक आने के लिए करीब 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। और ऊबड़-खाबड़ कच्चा रास्ता यहां के ग्रामीणों की परेशानी का सबब बना हुआ है। जिस पर किसी भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है। इसी ग्राम का ख्याल अब चुनावी दौर में आएगा जहां एक बार फिर झूठे वादों की दुहाई दी जाएगी।मार्ग न होने से ग्रामीणों की मुसीबत बताया गया कि ग्राम पंचायत शेरपार की आश्रित ग्राम अंगारा में पहुंच मार्ग नहीं है। यहां के ग्रामीण वर्षों से जद्दोजहद कर रहे हैं। ग्राम पंचायत का पहुंच मार्ग आज तक नहीं बन पाया है, जिसके कारण आवागमन में परेशानी हो रही है। यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ग्राम अंगारा की मुख्य समस्याओं की तरफ शासन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। यहां के लोग अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं इस ग्राम में सड़क के लिए वर्षों से लोग मांग कर रहे हैं लेकिन इनकी कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी महिला को डेलिवरी के समय प्रसव में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है और खाद्यान्न राशन वितरण में भी समस्या का सामना करना पड़ता है।स्कूली बच्चे और इमरजेंसी सुविधा की परेशानी ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत में पहुंच मार्ग बदहाल होने के कारण यहां के बच्चों को अपनी पढ़ाई के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बारिश की सीजन में बच्चों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हो जाती है। कच्चे व कीचड़ युक्त मार्ग के कारण बच्चे साइकिल को इस मार्ग से पैदल लेकर जाते हैं, वहीं इस मार्ग में बच्चे जूता चप्पल तक नहीं पहन पाते हैं, यहां के बच्चे नंगे पैर ही कीचड़ युक्त मार्ग से होकर स्कूल पहुंचते हैं। यदि ग्राम की किसी व्यक्ति को इमरजेंसी में डायल 100 नंबर या एम्बुलेंस की जरूरत पड़ती है तो यह इमरजेंसी सेवा भी ग्राम के लोगों को नहीं मिल पाती है। जिससे डेलिवरी पीरियड में घर पर ही हो जाता है जो प्रसव में शासन द्वारा चलाए जा रहे योजना का लाभ मिलना था वह भी नहीं मिल पाता है। जिले की ऐसी ग्रामों की दुर्दशा से जिले की अधिकारी जनप्रतिनिधि और नेता भी अभिज्ञ नहीं है। लेकिन इन ग्रामीणों की समस्या का समाधान आज दिनांक तक नहीं हो सका है।विकास के नाम पर मंचों से जनप्रतिनिधि-प्रशासन भले ही कितना ही ढिंढोरा पीट ले लेकिन ग्राम पंचायत के अंतर्गत जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है। आजादी के दशकों बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं। शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है, इससे ग्रामीणों में आक्रोश भी बढ़ रहा है।