मामला केज कल्चर में अनियमितता का… सांठगांठ ऐसा कि केंद्रीय मंत्रालय के रिकवरी पर कार्यवाही शून्य_ सूत्र सहायक संचालक को बचाने में लगे उच्च अधिकारी..

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मामला केज कल्चर में अनियमितता का…

सांठगांठ ऐसा कि केंद्रीय मंत्रालय के रिकवरी पर कार्यवाही शून्य_ सूत्र

सहायक संचालक को बचाने में लगे उच्च अधिकारी..

उच्च अधिकारियों की जांच पर संदेह या कुछ और.. छोटे कर्मचारियों को बनाया पुनः जांच टीम…15 दिवस के नोटिस के बाद भी रिपोर्ट अधर में लटकी


छग/रायपुर

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला में केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में अपने चहेते अपत्रों को अनुदान बाट दिया गया है।

केन्द्रीय सरकार द्धारा गरीब मछुआ मारने वाले छोटे किसानों को सशक्त बनाने योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है लेकिन अधिकारी इन योजनाओं में सेंध लगाकर स्वयं की जेबें भरने में लगती है जिसके कारण आज भी मछली मार कर जीवन यापन करने वाले लोगो की जिंदगी निम्न स्तर में ही लटकी हुई है। वहीं इसके विपरित जिम्मेदार अधिकारी गरीबों की योजनाओ में सेंध लगाकर खुद की जेबें भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

राशि आबंटन के मामले हुए अनियमितता के संबंध में केंद्रीय हस्तक्षेप के बावजूद भी राज्य की उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते आज पर्यन्त तक कार्यवाही शून्य है ।

छत्तीसगढ के धमतरी जिला में केंद्र सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना में चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आर्थिक अनियमितता का मामला सामने आया है। धमतरी जिला के गंगरेल बांध में केज कल्चर के नाम लाखों रुपये की अनियमितता का आरोप लगाया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना वर्ष 2021-22 में तत्कालीन सहायक संचालक मछली पालन के कार्यकाल में कुल 162 एवं 70 केज यूनिट लगाने के नाम से आबंटन प्राप्त हुआ था। अधिकांश लोगों को लाभ पहुंचाने की बजाय केवल चार हितग्राहियों को 72 केज राशि 86.40 लाख एवं नौ हितग्राहियों को 162 केज अनुदान राशि 291.60 लाख बीना केज लगे ही कमीशन लेकर बांट दिया गया। वर्तमान स्थिति की बात करें तो गंगरेल बांध में योजना अनुरूप केज नहीं लगे हैं।

वहीं उप संचालक ने कहा मामले की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, वहीं पुनः जांच के लिए पत्र लिखा हुआ है कि वर्तमान में क्या स्थिति है जानने के लिए उप संचालक मछलीपालन को लिखा हुआ है।

क्योंकि तत्कालीन उप संचालक को कमी अनियमितता के संबंध में बुलाया भी गया था लेकिन स्वास्थ्यगत कारणों के चलते अभी तक अभी तक कार्यवाही रुकी हुई है।

वहीं पदोन्नति के सावल पर बताया कि रिकवरी आदेश नही हुआ है तत्कालीन उप संचालक को मौखिक रूप में जरूर का था, की जो भी राशि अनियमितता है उसे ठीक करें।

वहीं राशि अनियमितता समझ से परे है, राशि अनियमितता नहीं होनी चाहिए.. हालांकि उन्होंने यह माना है की काम में ढिलाई दी है ।

वहीं प्रमोशन के प्रश्न पर प्रमुख संचलक ने बताया कि शासन स्तर पर जांच कर आरोप पत्र जारी होता है । जब तक आरोप पत्र जारी नहीं हुआ है प्रमोशन हो सकता है । यदि आरोप साबित हो जाता है तो जांच की कार्यवाही होगी।

वहीं मामले में पन्द्रह दिवस के भीतर कार्यवाही करने की बात कही थी ।

बहरहाल देखना होगा कि मामले में उक्त अधिकारी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का दम लगाया जा रहा है, उच्च अधिकारियों के जांच के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही न करना उच्च अधिकारियों पर सवालिया निशाना है ।
मामले में कार्यवाही की बात की जा रही है लेकिन गुप्त सूत्रों की माने तो उच्च अधिकारी भी सांठगांठ के चलते बचाने के चक्कर में पुनः जांच हेतू लिखा हुआ है।, पुनः जांच हेतू दिए गए 15 दिवस भी पुरा हो गया है लेकीन जांच अधिकारी अधूरी रिपोर्ट पेश किए हैं जो अपने आप में संलीप्तता के दायरे में है, वहीं ज़िम्मेदार और सक्षम उच्च अधिकारी इन अनियमितता बरतने वाले तत्कालीन महिला उप संचालक पर मेहरबान नजर आ रहे, वहीं बात करें वर्तमान जांच अधिकारी सहायक संचालक भी पूर्व में रहे राजनंदगाँव जिले में कारनामे चर्चाओं में रहें हैं, बल्कि सूचना तो यह भी है की जांच अधिकारी पर भी इनके कार्यकाल के कभी भी जांच की तलवार लटक सकती है।

वहीं ताज़्जुब की बात यह भी है की जब स्वयं संचालक कार्यालय द्वारा जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश कर कार्यवाही करने हेतू दे दिए बावजूद इसके संलिप्त अधिकारी को बचाने के चक्कर में छोटे कर्मचारियों को पुनः जांच हेतू जांच टीम बनाना प्रमुख संचालक के कारनामे को कटघरे में खड़े कर रहें हैं जिस पर प्रमुख संचालक अपने आप को बचाते नज़र आए,जबकि केंद्रीय मंत्रालय ने उक्त तत्कालीन उप संचालक को राशि अनियमितता के संबंध में राशि रिकवरी और उचित कार्यवाही हेतू पत्र लिखा है लेकिन अधिकारी को बचाने कार्यवाही आज तक शून्य है।
बहरहाल देखना होगा इन 15 (पंद्रह)दिवस के भीतर कार्यवाही के आश्वासन प्रमुख संचालक द्वारा दिया गया था, लेकिन महीना बीत जाने पर भी रिपोर्ट अधूरी है करके टाला जा रहा है,तत्कालीन उप संचालक पर क्या कार्यवाही की जाती या पुनः जांच के आड़ में सेटिंग कर क्लीन चिट दे दी जाती है.?.?.?.?

 

हालांकि मामले में अब शिकायतकर्ता संलिप्त अधिकारी के खिलाफ और संरक्षण देने वाले संलिप्त सभी अधिकारीयों के खिलाफ़ सचिवालय और कानूनी कार्यवाही के लिए रुख करने के संकेत दिए हैं ।

चुनेश साहू 7049466638

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