JCC(J) ने धर्मजीत सिंह को पार्टी से किया निष्कासित, सिंह अब बीजेपी से जुड़ेंगे, JCC(J) ने बीजेपी पर लगाया षड्यन्त्र का आरोप ,,,,,,
दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,
रायपुर :::::: छत्तीसगढ़ केंद्रित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) में काफी हलचल मची हुई है. पार्टी ने बीते रविवार को अपने विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया. पार्टी के एक नेता ने बताया कि सिंह को अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों की अनदेखी करने के लिए निष्कासित किया गया. वहीं बलौदाबाज़र के विधायक प्रमोद शर्मा ने धर्मजीत सिंह का समर्थन किया है और कहा कि जेसीसी(जे) के प्रमुख अमित जोगी अपने फैसले कहाँ बैठकर लेते है यह उन्हें पता है. दूसरी ओर धर्मजीत सिंह ने पार्टी से निकालने जाने के बाद अब भाजपा से जुड़ने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि जनता कॉंग्रेस के एक नेता ने बताया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को लिखे एक पत्र में जेसीसी (जे) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक रेणु जोगी ने सिंह को निष्कासित करने की जानकारी दी है. रेणु जोगी ने पत्र में लिखा कि पार्टी की कोर कमेटी ने दुख के साथ एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. जेसीसी (जे) विधायी दल के नेता सिंह जो लोरमी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है.सिंह को अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के हितों की अनदेखी करने और पार्टी के संस्थापक दिवंगत अजित जोगी द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के खिलाफ काम करने के लिए निष्कासित किया गया है.
अजित जोगी के बेटे और पूर्व विधायक अमित जोगी ने एक बयान में कहा कि दिवंगत अजित जोगी ने सिंह पर भरोसा जताते हुए उनको विधायक दल का नेता नियुक्त किया था, लेकिन पिछले एक साल से लोरमी से शिकायतों मिल रही थीं कि सिंह ने लोगों के हितों की अनदेखी की और अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पार्टी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर एक विशेष जाति के लोगों को महत्व दिया.
इस पूरे मामले में जेसीसी(जे) ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जेसीसीजे का कहना है कि राष्ट्रीय दलों को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है इसलिए छत्तीसगढ़ की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी को तोड़ने की कोशिश की गई. छत्तीसगढ़ के एक मात्र क्षेत्रीय राजनीतिक दल को तोड़कर छत्तीसगढ़ के करोड़ों छत्तीसगढ़ियों की भावनाओं को कुचलने का प्रयास किया गया है. जेसीसी(जे) ने बीजेपी पर सभी क्षेत्रीय दलों को खत्म करने का गंभीर आरोप लगाया है. प्रवक्ता भगवानू नायक ने कहा कि धर्मजीत सिंह ने अजीत जोगी के सामाजिक न्याय और छत्तीसगढ़ प्रथम के सिद्धांतों के विपरीत काम किया है. यह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय षडयंत्र का परिणाम है. जिसके अंतर्गत देश के सभी क्षेत्रीय दलों को एक एक कर नष्ट करने की योजना पर काम किया जा रहा है. धर्मजीत सिंह जिस पार्टी के चिन्ह पर चुनाव जीते और विधायक बने, उसी पार्टी की नीतियों को त्यागने तथा छत्तीसगढ़वाद की क्षेत्रीय विचारधारा को मिटाने का प्रयास करने के कारणवश, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) लोरमी विधायक धरमजीत सिंह को छः वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करती है.
जोगी कांग्रेस के प्रवक्ता भगवानू नायक ने बताया कि लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह को जेसीसीजे के संस्थापक अजित जोगी ने पार्टी के विधायक दल का नेता बनाया था. परंतु विगत लगभग एक वर्ष से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व के संज्ञान में यह शिकायत भेजी गई. विधायक धर्मजीत सिंह लगातार अन्य दल के संपर्क में रहकर अपने निजी स्वार्थ का ताना बाना बुनने में लगे रहे हैं. इन शिकायतों के संदर्भ में पूर्व में अनेकों बार विधायक धर्मजीत सिंह के साथ चर्चा भी की गई. किन्तु उनके आचरण और विचार में कोई बदलाव नहीं आया. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के सुप्रीमो रेणु जोगी और प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने विधायक धरमजीत सिंह के पार्टी से निष्कासन की सूचना विधानसभा अध्यक्ष को दी है.
हुआ यूं कि वरिष्ठ नेता धर्मजीत सिंह 27 अगस्त को ‘मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ के सिलसिले में रायपुर में भाजपा द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में भाग लेने के दौरान पार्टी के निशाने पर आ गए थे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संगोष्ठी को संबोधित किया था. जेसीसी(जे) ने धर्मजीत के इस कृत्य को पार्टी सिद्धांतों के घोर उल्लंघन के रूप में देखा, जो एससी/एसटी, गरीब, पिछड़े समाज के उत्थान के लिए समर्पित है, जो पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के संस्थापक अजीत जोगी का आदर्श वाक्य था.पार्टी की एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पार्टी की कोर कमेटी ने मुंगेली के लोरमी विधायक धरमजीत सिंह के कार्य को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीब और समाज के सबसे पिछड़े वर्गों के खिलाफ पाया. कोर कमेटी ने उन्हें निष्कासित करते हुए अंतिम निर्णय डॉ रेणु जोगी पर छोड़ दिया.
पार्टी ने कहा कि धर्मजीत सिंह भी लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते रहे हैं और एक विशेष वर्ग के लोगों को महत्व देते रहे हैं. निष्कासित विधायक पर अपने निजी हित को प्राथमिकता देने का भी आरोप लगाया गया है. पार्टी ने कहा कि धर्मजीत सिंह 2018 के विधानसभा चुनाव में जेसीसी(जे) के टिकट पर अजीत जोगी के नाम और काम के कारण चुने गए थे. निष्कासित विधायक ने पार्टी के ‘सामाजिक न्याय’ और ‘छत्तीसगढ़ प्रथम’ के सिद्धांतों के अनुसार काम नहीं किया.