राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,
रायपुर :::::: 13 सितंबर (2007) UNO द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार के अवसर पर भारत में लगभग 705 आदिवासी समुदाय हैं। जिनकी जनसंख्या लगभग 12 करोड है। भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत के मध्य एवं उत्तरी राज्य में अधिकाधिक संख्या में है। आदिवासी अंचलों में ही देश के प्राकृतिक एवं खनिज संसाधन भरपूर है। भारत के संविधान में आदिवासियों के लिए बहुत सारे अधिकार दिए गए है। आदिवासियों के लिए पांचवीं एवं छटवीं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन नियंत्रण उनके अनुसार किया गया है। आदिवासी प्राकृतिक पूजक है। आज भी आदिवासी विकास के मानको में पिछड़ा नजर आता है। जल, जंगल, जमीन और खनिज के संरक्षण के लड़ाई के साथ अपने परंपरा और आदिवासी अस्तित्व के लिए संघर्षरत है। भारत राष्ट्र के उत्थान और समग्र विकास की कल्पना आदिवासियों की सहभागिता के बगैर संभव नहीं है। राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन एक प्रयास है आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण और समस्याओं के निराकरण के लिए। विश्व के आदिवासियों ने अपने अस्तित्व अधिकारों के लिए सन 1923 से (league of nation) लीग ऑफ नेशन के सामने संघर्ष शुरू करके विश्व समाज का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। सन 1982 में इकोनामिक एंड सोशल काउंसिल (ECOSOC) का गठन करके संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व के आदिवासियों के सवालों के समाधान हेतु प्रयास किया। पृथ्वी परिषद के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में 28 जुलाई 2000 में रेजुलेशन क्रमांक 2000/22 आदिवासियों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई समिति का गठन किया जिसे हम The United Nation permanent forum on indigenous issue (UNPFII) के नाम से जानते हैं। सन 2007 में 13 सितंबर को विश्व के आदिवासियों के लिए अधिकारों की घोषणा की गई और हर साल 13 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस के नाम से मनाया जाता है। आदिवासी समन्वय मंच भारत का गठन आदिवासियों के समस्याओं के समाधान के लिए सन 2015 में हुआ जो देश के आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संगठनों एवं समुदायों का साझा मंच है इस मंच से सन् 2016 में दिल्ली में दसवां अंतर्राष्ट्रीय अधिकार दिवस राष्ट्रीय स्तर पर सबको साथ लेकर मनाया था, और महामहिम राष्ट्रपति जी को आदिवासियों के समस्याओं के बारे में ज्ञापन प्रस्तुत किया। इसके बाद देश के विभिन्न प्रदेशों में संगठनों एवं समुदायों को जोड़ने हेतु, सन 2017 में नागपुर (महाराष्ट्र), सन 2018 में रांची (झारखंड), सन 2019 में मैसूर (कर्नाटक), सन 2020 में में भीलोड़ा (गुजरात) एवं सन 2021 में दीपू (कार्बी आंगलांग डिस्ट्रिक्ट ऑटोनॉमस कॉउंसिल देश की सबसे पहली छठवीं अनुसूची के तहत गठित) में आयोजन किया गया इस वर्ष 2022 का अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस का राष्ट्रीय आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर शहर में आदिवासी सामान्य मंच भारत एवम सर्व आदिवास समाज छत्तीसगढ़ (रूढ़ीजन्य परंपरा पर आधरित ) के संयुक्त तत्वधान में आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम विवरण,,,,
12 सितंबर 2022, दिन सोमवार, स्थान- दीनदयाल ऑडोटोरीयम, साईंस कॉलेज, रायपुर,
01- समय सुबह 9:30 विभिन्न प्रांतों से आए हुए सम्मानीय समाज जनों का पंजीयन समाजिक प्रमुख एवं दलों का स्वागत ,
02- सुबह 10:30 प्रथम सत्र का उद्घाटन महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ जी के द्वारा,
03- विभिन्न राज्यों से आए हुए विभिन्न प्रदेश के पारंपरिक सांस्कृतिक वेशभूषा का प्रदर्शन ,
04- UNO के द्वारा घोषित आदिवासीयो के अधिकारों का वाचन,
05- आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार एवं ज्वलंत समस्याओं पर सेमिनार एवं चर्चा, राज्यों के मुख्य विषय पर चर्चा ,
06- संध्या 5:30 विभिन्न प्रदेश के आए हुए सांस्कृतिक नृत्य समूह का प्रदर्शन,
07- रात्रि 9:00 बजे दिन भर की चर्चा का समायोजन,
13 सितंबर 2022 दिन मंगलवार, स्थान- दीनदयाल ऑडोटोरीयम, साईंस कॉलेज,
रायपुर,,,,,,,
01- सुबह 9:00 बजे पारंपरिक सेवा अर्जी, जोहार भेंट,
02- सुबह 10:30 सभी प्रांत से आए हुए पारंपरिक वेशभूषा के साथ भव्य रैली जयस्तंभ चौक तक,
03- दोपहर 01:30 बजे साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय सम्मेलन अतिथियों का स्वागत,
04- उद्बोधन एवं आदिवासी विषयों पर प्रस्तुतीकरण आदिवासियों के अधिकार एवं समस्या के समाधान हेतु प्रस्ताव
आयोजक,,,,
आदिवासी समन्वय मंच भारत एवं सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ (रूढ़ीजन्य परंपरा पर आधारित)
समस्त आदिवासी समुदाय भारत