जन्माष्टमी विशेष,,,,,,,
*जन्माष्टमी 2022 पूजा, आरती, व्रत और मंत्र,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,
भारतवर्ष को कर्म का मार्ग प्रशस्त कर, कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है इसका उपदेश देणेवाले बालक से लेकर वृद्ध व्यक्ती तक के दुलारे और केवल प्रेम का पाठ सारे जगत को पढाने वाले सर्वोच्च योगी श्रीकृष्ण भगवान का जन्मदिन जन्माष्टमी के रुप में संपूर्ण जगत में वैष्णव जन मनाते है. आइये जानते है जन्माष्टमी २०२२ पूजा, आरती, व्रत और मंत्र के बारे में.
जन्माष्टमी 2022 कब मनायी जायेगी ?
इस वर्ष जन्माष्टमी 2022 बुधवार ता.18 अगस्त 2022 को मनाई जायेगी. अष्टमी तिथी 18 अगस्त को शाम 09.20 पर शुरू होकर समाप्ती 19 तारीख को रात 10.59 बजे होना है. इसलिये ज्यादातर अंग्रेजी कॅलेंडर के हिसाब से जब रात्री के बारह बजेंगे तब जब 19 तारीख लगेगी तब गोपालकृष्ण भगवान का जन्म मनाया जायेगा और इस तरह 19 अगस्त का उपवास होगा.
वैष्णव मत के अनुसार, मथूरा और द्वारीका में जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जायेगी. जबकी कुछ शहरों में 18 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म मनाया जायेगा. कुछ मान्यता के अनुसार, गृहस्थ 18 अगस्त को और सन्यासी गण 19 अगस्त की रात को जन्माष्टमी मनायेंगे.
अष्टमी तिथी 18 अगस्त गुरुवार को शाम 09.20 बजे से शुरु होगी तथा अष्टमी की समाप्ती शुक्रवार 19 अगस्त को रात 10.59 बजे होगी. इस वर्ष कृष्ण जन्म तिथी के दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र नही आ रहा है.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर यूग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ. वे देवकी वसुदेव की आठवी संतान थे. उन्हे भगवान श्री नारायण का आठवा अवतार माना जाता है जो की एकमेव पुर्णावतार था. उनके जन्म का विशेष प्रयोजन दुष्ट कंस का नाश करना था. गिता के माध्यमसे समग्र जगत को राह दिखाना और महाभारत के माध्यम से समस्त दुष्टो का नाश करना भी उनके विशेष अवतार का कारण था.
* कृष्ण जन्म और कंस का वध,,,,,,,,,
कंस , की एक बहन थी देवकी. देवकी-वसुदेव का जब विवाह हुआ, तब यह आकाशवाणी हुई की कंस का विनाश देवकी की आठवी संतान करेगी. यह सुनकर कंस ने बहन और जवाई को कारागार में डाल दिया. उसके बाद उसने देवकी-वसुदेव की सातों संतानों को मार दिया.
देवकी की आठवी संतान हुई तब सारा जगत माया के वश सो गया. कारागार के ताले भी खुल गये. और भर बरसात में वासुदेव ने बालक कृष्ण को यमुना के पार जाकर गोकुल में नंदबाबा के घर में छोड दिया. और उनकी कन्या को साथ में ले आये, जो की महामाया का अवतार थी. जब कंस को आठवी संतान के बारे पता चला तो वह उसे मारने आ धमका. उसने बालीका को हवा में उछाला तो वह महामाया हवामेंही उड गई और कंस को चेताया की उसका काल सही सलामत है. और समय आने पर उसका वध करेगा.
इधर नंदबाबा और माता यशोदा ने बडे लाड और दुलार से कन्हैय्या को बडा किया. गाय, गोपीयॉ और गोपाल के संग कई लिलाये कर भगवान ने संसार को हर लिला के माध्यम से समग्र जगत को कुछ ना कुछ संदेश दिया है. कंस ने कई राक्षसो और असूरों को गोकुल भेजकर बालक कृष्ण को मारना चाहा, लेकीन हर बार उन राक्षस या असूर का कृष्ण भगवान नें उद्धार किया. और अंत में कंस की राजधानी में आकर उसका भी अंत किया.
* जन्माष्टमी व्रत का महत्व,,,,,,,,,
लगभग सभी वैष्णव जन्माष्टमी का व्रत करते है. शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है मतलब सभी व्रतो मे सर्वश्रेष्ठ. इस दिन भक्त भगवानसे संतान, संपत्ती, भक्ती, मोक्ष आदी की प्राप्ती हेतू व्रत करते है. जन्माष्टमी करने से अनेको व्रतो का फल प्राप्त होता है. जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख, समृद्धी, भक्ती, मोक्ष के साथ ही सभी सांसारिक सुखो की प्राप्ती होती है.
* लड्डु गोपाल की पुजा कैसे करे,,,,,,,,
सभी भक्तगण अपने कुलाचार के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पुजा करते है. विशेष कर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रुप की लड्डु गोपाल के रुप में सभी घरों मे पुजा की जाती है. इस दिन विशेष कर, गंगाजल और पंचामृत से भगवान की मुर्ती का स्नानादी संपन्न होने पर, भगवान के साज-श्रृंगार कर उन्हे सजाकर संवारकर, उन्हे नये नये कपडे पहनाकर, मुकुट चढाकर, मोर पिस के साथ पालने में झुलाते हुये पुजा की जाती है.
भगवान को चौकी बिछाकर, स्वच्छ वस्त्र रखकर उसपर विराजमान कराया जाता है. दिया लगाकर रोशनी की जाती है. धुप-दिप-अगरबत्ती लगाकर वातावरण प्रफुल्लीत किया जाता है. भगवान को उनकी प्रिय तुलसी, पंजरी और पंचामृत का विशेषकर प्रसाद चढाया जाता है.
(पंजरी – पिसे हुये धनीये में शक्कर मिलाकर पंजरी का प्रसाद बनाया जाता है.) भक्तीभाव के साथ भगवान की पुजा की जाती है.
श्रीकृष्ण की आरती : :::::::
पुजा के पश्चात भगवान श्री कृष्ण की आरती आवश्यक होती है. भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय आरती कुंज बिहारी की श्रीगिरधर कृष्ण मुरारी की …. यह आरती अत्यंत भक्तीभाव से की जाती है.
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* भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य मंत्र*
१) ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
२) श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
* जन्माष्टमी के जयघोष*
१) हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैय्या लाल की
२) नंद के आनंद भयो, जय कन्हैय्या लाल की