*अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के इतिहास में वैश्विक सम्मेलन 2024। आर, एल, कुलदीप की रिपोट:-*
दुर्गुकोंदल:
अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) की स्थापना 1895 में दुनिया भर में सहकारी समितियां को एकजुट करने,उनका प्रतिनिधित्व करने और उनकी सेवा करने के लिए की गई थी।अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के इतिहास में वैश्विक सम्मेलन 2024 एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि यह आयोजन 130 साल के इतिहास में पहली बार भारत में हो रहा है। यह सम्मेलन भारत मंडपम नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इसमें दुनिया भर के सहकारी नेता सभी के लिए एक सामूहिक, शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य को आकार देने में सहकारी समितियों की भूमिका का पता लगाने के लिए एक साथ आएंगे। उक्त सम्मेलन के संबंध में सहकार भारती छत्तीसगढ़ के प्रदेश मंत्री संजय वस्त्रकर ने बताया कि सहकार भारती छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत द्विवेदी,प्रान्त महामंत्री करुणानिधि यादव,प्रान्त संगठन मंत्री हेमंत पांडेय,भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) के महासम्मेलन नई दिल्ली में भाग ले रहे है। अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) एक गैर सरकारी सहकारी संगठन है। वैश्विक सहकारी सम्मेलन के लिए प्रमुख निकाय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) के 130 साल के लंबे इतिहास में पहली बार इफको की पहल पर आईसीए महासभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन की मेजवानी भारत की तरफ से की जा रही है। इफ़को ने हमेशा भारतीय किसानों के हित को अपने दिल में रखा है।अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) दुनिया भर में सहकारी समितियों की आवाज है। यह एक गैर लाभकारी अंतरराष्ट्रीय संघ है। जिसकी स्थापना सहकारी सामाजिक उद्यम मॉडल को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। उक्त सम्मेलन के उद्घाटन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारीता वर्ष 2025 की शुभारंभ का घोषणा करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने खादी और ग्रामोद्योग जैसे क्षेत्रों में नया आंदोलन खड़ा किया। आज खादी और ग्रामोद्योग को हमारी सहकारिता ने बड़े-बड़े ब्रांड से भी आगे पहुंचा दिया है। आजादी के आंदोलन को भी सहकारिता ने प्रेरित किया है। इससे आर्थिक सशक्तिकरण में तो मदद मिली ही साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों को एक सामूहिक मंच भी मिला। महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज ने सामुदायिक भागीदारी को फिर से नई ऊर्जा दी थी।अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष की घोषणा विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको, भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन की तरफ से संयुक्त रूप से की गई है,। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री माननीय अमित शाह जी 25 नवंबर 2024 को कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।इस वैश्विक सहकारी सम्मेलन में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे और फिजी के उप-प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका और 100 से अधिक देशों के लगभग 3,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे है।भारत मंडपम नई दिल्ली में आयोजित होने वाले उक्त महासम्मेलन का विषय सहकारिता से सभी की समृध्दि का निर्माण और उप विषय होंगे सक्षम नीति और उद्यमशीलता पारिस्थितिक तंत्र। सहकारिता से सभी की समृद्धि का निर्माण भारत सरकार के नारे सहकार से समृद्धि-के अनुरूप है। इसका सही अर्थ सहकारिता के माध्यम से ही सभी की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।सम्मेलन का विषय “सहकारिता सभी के लिए समृद्धि का निर्माण करती है” सहकारी समितियों की जन-केंद्रित, उद्देश्य-संचालित और प्रगति-उन्मुख प्रकृति के बारे में बताता है।उक्त सम्मेलन के परिपेक्ष्य में डॉ लक्ष्मीकांत द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता की अपार संभावनाएं है,भारत का सहकारी आंदोलन इसके सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में गहराई से समाया हुआ है। यह एकता, पारस्परिक सहायता और सामूहिक समृद्धि के मूल्यों को दर्शाता है। वसुधैव कुटुम्बकम का प्राचीन भारतीय सिद्धांत – “दुनिया एक परिवार है” – भारत में सहकारी आंदोलन के पीछे एक मार्गदर्शक शक्ति रहा है। यह एकजुटता और पारस्परिक समर्थन पर बल देता है।
हेमंत पांडेय के अनुसार भारत में सहकारी क्षेत्र कृषि, बैंकिंग, आवास और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है। सहकारिता हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाने, संसाधनों तक पहुँच प्रदान करने और ग्रामीण आर्थिक विकास में योगदान देने में सहायक रही है। भारत का राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे विविध है। इसमें लाखों लोग और कई क्षेत्र शामिल हैं। उक्त सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मंडल को दीपक मिश्रा,राकेश शुक्ला,किशोर साहू, प्रिया सिंह ठाकुर इश्वरी सिन्हा,जया रेड्डी, डॉ चंद्रमणि साहू आदि ने शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि सहकार भारती छत्तीसगढ़ ‘बिना सहकार नही उद्धार’ के नारे को जन आंदोलन बनाकर छत्तीसगढ़ में सहकारिता की शुद्धि,वृद्धि और समृद्धि की दिशा में कार्य करेगी।