*आराध्य देव चिकटराज के सरहद सीमांकन में बड़ी संख्या ग्रामीण और श्रद्धालु हुए शामिल*,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

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*आराध्य देव चिकटराज के सरहद सीमांकन
में बड़ी संख्या ग्रामीण और श्रद्धालु हुए शामिल*,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

बीजापुर:::::::::::बीजापुर के आराध्य देव बाबा चिकटराज का सरहद सीमांकन का कार्य देवता गुज्ज़ा देव के समक्ष गाँव व नगर के सियान, पुजारी, देव प्रमुख के गरिमामयी उपस्थिति में जिला मुख्यालय के चिकट राज मंदिर में रविवार को संपन्न हुआ।

देव तुल्य भूमि का सरहद सीमांकन कई सदियों के बाद किया गया। सरहद सीमांकन में पुजारियों के साथ ही बड़ी संख्या में आस पास के ग्रामीण भी पहुँचें। बाबा चिकट देव की नगर के सरहद सीमांकन का कार्य चारों दिशा में किया गया।

बाबा चिकट राज देव के सरहद सीमांकन के पूर्व में किया गया उस सीमांकन प्रतीक चिन्ह वर्तमान में भी मौजूद हैं।
वहीं देवता चिकट राज कई वर्षों के बाद नगर के भ्रमण में सीमांकन के लिए निकले।

इस दौरान देवता चिकट राज बाबा का रात्रि विश्राम शनिवार के नगर के वार्ड क्रमांक एक पनारा पारा में किया । रात्रि विश्राम के दौरान देवी देवताओं का मानदान आदिवासी परंपरा के अनुसार दिया गया । बाबा चिकट राजदेव का दर्शन करना महिलाओं के लिए वर्जित है माना जाता है ।

बाबा चिकट राज देव अपनी गद्दी से उठकर अपने आंगन में मेला के लिए जब 3 दिन बाहर रहते हैं उसी दौरान महिलाएं बाबा चिकट राज देव का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं ।
शनिवार और रविवार के सरहदों का सीमांकन करने के बाद बाबा चिकट राज देव पुनः रविवार की शाम के चिकट राज मंदिर में पहुँचें कर गद्दी में बैठे ।

सरहदो का सीमांकन में प्रमुख रूप से मनकेलि, संतोषपुर ,तुमनार,माँझीपारा,कोकडापारा,तुरनार,पनारापारा,कोतापाल,जैतालुर,चिन्नाकोड़ेपाल व महादेवघाट शामिल है।

बाबा चिकटराज देव बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव हैं। उनका बीजापुर जिले के क्षेत्रवासियों के लिए ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है।

मान्यता है कि महाभारत काल के बाद से धर्मराज के नाती देवता चिकट राज बाबा को देव तुल्य भूमि बीजापुर नगर क्षेत्र में विराजमान हुए।

नगर का सीमांकन करने के दौरान देवताओं के प्रमुख देवता गुज्ज़ा देव के समक्ष किया गया। मान्यता है कि देवता गुज्ज़ा देव का देव तुल्य भूमि तेलंगाना के वारंगल महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र से होते हुए बस्तर के बीजापुर भैरमगढ़ दंतेवाड़ा जगदलपुर नारायणपुर कांकेर के अधिकांश क्षेत्र आता है ।

सरहद सीमांकन के दौरान मेघनाथ मांझी – देव सियान,सुखलाल पुजारी – माटी पुजारी
सागर पुजारी – चिकट राज पुजारी,संजय पुजारी- माता पुजारी, राममशरण मांझी – देव प्रमुख,दिनेश पेरमा – पेरमा, नन्दकिशोर पांडे – गायता, रामशंकर साहनी परगनिया मांझी,मंगल ध्रुवा – देव प्रमुख,रहेंद्र मांझी- देव प्रमुख,जलंधर मांझी- देव प्रमुख,दसरथ मांझी – देव प्रमुख, रामचरण मांझी,सुखनाथ मांझी -मोदुल सिराहा
फ़ागुराम साहनी,मोतीराम आमंद, विश्वनाथ मांझी, आदिनारायण पुजारी, फूलचंद नाईक, हीरासिंह मांझी,रामसिंह राना,भोलाराम अमान,जगबंधु मांझी
सीताराम मांझी, ये सभी देव प्रमुख, सिरहा गुनिया एवम सैकड़ों की संख्या में स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे।

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