*ऐतिहासिक कर्णेश्वर मेला महोत्सव की तैयारी पूरी, कल शाही स्नान के साथ प्रारंभ होगा, 2023 कर्णेश्वर धाम मेला महोत्सव का शुभारंभ ,महानदी में श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी*,,,,,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

0
73

*ऐतिहासिक कर्णेश्वर मेला महोत्सव की तैयारी पूरी, कल शाही स्नान के साथ प्रारंभ होगा, 2023 कर्णेश्वर धाम मेला महोत्सव का शुभारंभ ,महानदी में श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी*,,,,,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

धमतरी:::::::::::::::::महानदी के उद्रम एवं सप्तर्षियों की तपोभूमि स्थान सिहावा में श्रृंगी ऋषि पर्वत के नीचे महानदी के तट पर ग्राम पंचायत छिपली पारा के अंतर्गत देवर पारा गांव बसा है यहाँ पर महानदी व बालका नदी का संगम होता है. माँघ पूर्णिमा पर यहां हजारो श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है। समीप ही 11वी शताब्दी में राजा कर्णराज द्वारा निर्मित शिव मंदिर, राम जानकी मंदिर, नन्दी, गणेश मन्दिर, विष्णु के मंदिर है इस स्थान को लोग कर्णेश्वर धाम के नाम से जानते है कर्णेश्वरधाम मे माघ पूर्णिमा के अवसर पर 5 फरवरी से विशाल मेला का आयोजन प्रति वर्ष अनुसार किया जा रहा है। कर्णेश्वर धाम मे सोमवंशी राजाओं द्वारा निर्मित भगवान शिव एवं राम जानकी का मंदिर है,मंदिर में लगे सोलह पंक्तियों की आयताकर भीतर शिलालेख कांकेर के सोमवंशी राजा कर्णराज के शासनकाल में शक सम्वत 1114 में उत्कीर्ण कराया गया। शिलालेख संस्कृत भाषा के देवनागरी लिपि में लिखी गयी है। शिलालेख से विदित होता है कि महराज कर्णराज ने अपने वंश की कीर्ति को अमर बनाने के लिए कर्णेश्वर देवहद में छह मंदिरों का निर्माण किया,एक अपने नि संतान भाई कृष्णराज के नाम, दूसरा मंदिर प्रिय पत्नी भोपालादेवी के नाम निर्मित कराया। कर्णराज ने त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना कर प्रति किया। कर्णराजद्वारा निर्मित मंदिर में शिव के अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम राम जानकी मंदिर प्रमुख है,भगवान शिव को बीस वर्ग फुट आयताकार गर्भ गृह में प्रतिष्ठित किया गया ही गर्भगृह का शीर्ष भाग कलश युक्त है। मंदिर का अग्रभाग मंडप शैली मे बना है, जिसकी छत आठ कोडीय प्रस्तर स्तंभों पर टिकी है। मंदिर का पूरा भाग पाषाण निर्मित है।

जनश्रुति है कि कांकेर के सोमवंशी राजाओं के पूर्वज जग्गनाथपूरी उड़ीसा के मूल निवासी थे। सोमवंशी राजाओं ने पहले पहल नगरी मे अपनी राजधानी बनायो ,असाध्य रोगों के लिये अमृत कुण्ड कर्णेश्वर धाम मे एक प्राचीन अमृतकुण्ड है। किवदंती हो कि इस कुंड के जल के स्नान से कोड जैसे असाध्य रोग ठीक हो जाता था,सोमवंशी राजाओ ने इसे मिट्टी से भर दिया। अमृतकुंड से लगा हुआ छोटा सरोवर मोती तालाब राजा के दो पुत्रियां सोनई-रूपई के नाम से जाना जाता है। सोनई रूपई कांकेर के राजा धर्म देव की पुत्रियों थी मन्दिर परिसर में विविध देवी देवताओं की प्रतिमा है सोम वन्शीय राजाओ का विजय स्तम्भ है माचपुर्णिमा के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु बालका व महानदी के संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य के भागीदार बनेंगे ।

लुप्त हो जाती है अस्थियां ,बालका व महानदी संगम स्थल से दक्षिण दिशा में महानदी पर पचरी घाट पर स्थित कुण्ड में अस्थियां विसर्जित की जाती है मान्यता है कि यहाँ दाई पहर में विसर्जित अस्थिया लुप्त हो जाती है ।

कर्णेश्वर धाम में विकास की गति बड़ी ट्रस्ट अध्यक्ष विकल गुप्ता ने बताया कि कर्णेश्वर धाम के विकास में ट्रस्ट के संरक्षक व सिहावा विधायक डॉ लक्ष्मी ध्रुव का सतत प्रयास रहता है, अभी सामुदायिक भवन हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीस लाख रुपये की घोषणा की है। जनभागीदारी से अनेक कार्य हो रहे है मन्दिर परिसर का चौड़ीकरण, रंगमंच सहित मन्दिर परिसर के भीतर व बाहर डोम शेड बनने से कर्णेश्वर धाम की शोभा बढ़ी है ।

बाबा बालगीर करते है देवी देवताओं की अगुवाई,मेला में इलाके भर से पारम्परिक रूप से देवी देवताओं का आगमन होगा। बस्तर, उड़ीसा के देवी देवता भी पुत्री स्नान व कर्णेश्वर महादेव का दर्शन कर बाबा युवा शामिल है।

आवालगीर के अगुवान व छिपली पारा के टिकरी वाली के मार्गदर्शन में माता खम्बेस्वरी से जोहार भेंट कर मड़ाई की परिक्रमा करेंगे जिसके तैयारी में प्रशासन व ट्रस्ट जुटा हुआ है संरक्षक सिहावा विधायक डॉ लक्ष्मी ध्रुव ट्रस्ट अध्यक्ष विकल गुप्ता, सवंग कार कैलाश पवार, उपाध्यक्ष राम प्रसाद मरकाम, सचिव ललित शर्मा, कोशाध्यक्ष निकेश ठाकुर, सह सचिव राम भरोसा साहू, नागेन्द्र शुक्ला, शिव कुमार परिहार, रवि दुबे कलम सिंह पवार, रवि ठाकुर, गगन नाहटा, पवन भट्ट, नोहर साहू, छबि ठाकुर, राम लाल नेताम, प्रकाश बेश, मोहन पुजारी, योगेश साहू भरत निर्मलकर, के एस श्रीमाली, अंजोर निषाद, उत्तम साहू दीपक यदु सचिन भंसाली, प्रदीप जैन, नन्द यादव, महेंद्र कौशल, प्रताप सुरेशा, पंकज ध्रुव, कैलाश प्रजापति, मिलेश साहू, रवि भट्ट हनी कश्यप, कमल डागा, अभिनव अवस्थी, बबलू गुसा, ललित निर्मलकर, डोमार मिश्रा, बंटी नाग, अमर सिंह पटेल, ईश्वर जांगड़े, अनिरुद्ध साहू, मनोहर मानिकपुरी अकबर कश्यप राजू सोम, रामगोपाल साहू, दुर्गेश साहू अश्वनी निषाद होरी लाल पटेल आदि जुटे है ।

सांस्कृतिक कार्यक्रम ,मेला महोत्सव के दौरान 4 फरवरी को राम धुनी झांकी, 5 फरवरी को छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम लोक सुर विलासपुर, 6 फरवरी को अनुराग शर्मा, कंचन जोशी नाइट, 7 फरवरी को रंग झरोखा भिलाई. 8 फरवरी मवलीभाटा उड़ीसा की प्रस्तुति कर्णेश्वर धाम के रंग मंच पर होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here