*आरक्षण संशोधन विधेयक पर लटकी तलवार…. राज्यपाल ने नहीं दी मंजूरी…पढ़े पूरी खबर……राजेंद्र टेंबुकर की रिपोर्ट*

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*आरक्षण संशोधन विधेयक पर लटकी तलवार…. राज्यपाल ने नहीं दी मंजूरी…*

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर फिर से घमसान मच गया है. विधानसभा में आरक्षण विधेयक 2 दिसंबर को ही पारित हो गया था लेकिन राज्यपाल ने 8 दिन बाद भी इस विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं दी है. वहीं आज राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस मामले में पहली बार मीडिया के सामने विधेयक में आ रही दिक्कतों को लेकर खुलकर बता की. उन्होंने कहा है जब तक आरक्षण बिल पर सरकार की तैयारी से संतुष्ट नहीं हो जाऊं तब तक हस्ताक्षर नहीं करूंगी.

*आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल का बड़ा बयान*

दरअसल शनिवार को राज्यपाल अनुसुइया उईके धमतरी जिले के दौरे पर पहुंचीं. इस दौरान राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने आरक्षण के मामले में कहा कि सरकार ने क्या आधार मानकर इतना ज्यादा आरक्षण बढ़ाया है. ये मामला बहुत बड़ा हो गया है, अगर केवल आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण का मामला होता तो कोई दिक्कत नहीं होती, इसीलिए में अभी हस्ताक्षर नहीं करूंगी।

*👉केवल आदिवासी समाज का संशोधन होता तो कोई दिक्कत नहीं थी*

राज्यपाल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा था. राज्य में असंतोष था इसलिए मैंने सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था. आज पहली बार आप लोगों के सामने ये जानकारी दे रही हूं. मैंने केवल जनजाति समाज के लिए सत्र बुलाने की बात कही थी लेकिन इसमें ओबीसी और अन्य समाज का आरक्षण बढ़ाया है. इससे मेरे सामने ये परिस्थिति आ गई की 58 प्रतिशत आरक्षण को कोर्ट असंवैधानिक घोषित करता है तो ये बढ़कर 76 हो गया! अगर केवल आदिवासी जनजाति समाज का ही संशोधन होता तो मेरे लिए तत्काल हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी.

*सरकारी की तैयारी से संतुष्ट होने के बाद करूंगी हस्ताक्षर*

हालांकि, राज्यपाल ने ये भी कहा है कि अभी नए बिल में सरकार की क्या तैयारी है ये देखना जरूरी है. नए बिल की जांच में समय लग रहा है. जैसे ही मैं नए बिल पर सरकार की तैयारी से संतुष्ट हों जाऊंगी, हस्ताक्षर कर दूंगी. उन्होंने असमंजस में होते हुए ये भी कहा कि मैं हस्ताक्षर कर दूंगी उसके बाद कोई कोर्ट चला गया स्टे ले आया तो फिर से मामला फंस जाएगा और लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. वैसे भी जनरल वर्ग ने इस विधेयक पर जांच करने के लिए आवेदन दिया है.

*हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है 58 प्रतिशत आरक्षण*

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 19 सितंबर से हाईकोर्ट के फैसले के बाद 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया है. तब से राज्य में आरक्षण को लेकर घमसान मचा हुआ है. आनन फानन में राज्य सरकार ने 76 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित कर दिया है. आपको बता दें कि सरकार ने आदिवासी आरक्षण 20 से 32 प्रतिशत दिया है और ओबीसी का 14 से 27 प्रतिशत दिया है. जनरल का 4 प्रतिशत और एससी का आरक्षण 16 से घटाकर 13 प्रतिशत आरक्षण दिया है।🖋️

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