*बस्तर मे वनाधिकार मजबूत करने की जताई मंशा, छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच * *दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

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*बस्तर मे वनाधिकार मजबूत करने की जताई मंशा, छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच *

*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*

जगदलपुर ::::::::: बस्तर संभाग मे वन आश्रित आदिवासियों के लिए वनाधिकार को मजबूती से दिलवाए जाने की मंशा के साथ छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच ने आज संभाग स्तरीय वनाधिकार बैठक का आयोजन, गोंडवाना भवन जगदलपुर मे किया।

छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच, प्रदेश मे वन अधिकार एवं आदिवासी अधिकार के मुद्दों पर काम करने वाले संगठनों एवं कार्यकर्ताओं का नेटवर्क है, जो विगत 2014 से सक्रिय है।

जगदलपुर मे आयोजित इस बैठक मे बस्तर संभाग के सभी जिलों से युवा वनाधिकार कार्यकर्ता उपस्थित थे, जिन्होंने अपने जिलों मे वनाधिकार कानून के लचर क्रियान्वयन पर रोष जताया।

साथ ही, ग्रामसभाओं द्वारा अनुमोदित सामुदायिक वनाधिकार के लंबित दावों पर कार्रवाई न होने को दुखद बताया। बैठक मे उपस्थित नारायणपुर के नरसिंग मंदावी ने बताया की जिले मे अधिकारी वनाधिकार के दावों के सत्यापन के लिए ग्राम वनाधिकार समिति के नोटिस की अवहेलना करते है, और अपने ही कार्यालय मे दावे मँगाकर एकतरफा कार्रवाई करते है।

बैठक को वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता केशव शोरी और बस्तर संभाग के सर्व आदिवासी समाज के प्रकाश ठाकुर ने भी संबोधित किया।

बीजापुर से आए राजेन्द्र कढ़ते ने बताया की अंदरूनी इलाकों मे वनाधिकार के दावे दाखिल करना बहुत मुश्किल होता है, पुलिस परेशान करती है। पहले मिले हुए वनअधिकार पत्र गलत साबित हुए, और ग्राम सभा को इस बारे मे जानकारी नहीं है।

मंच की ओर से बिजय भाई ने कहा कि, दरअसल, वनाधिकार की लड़ाई, आदिवासियों को उनके वाजिब हक दिलाने और ऐतिहासिक अन्याय दूर करने के नजरिए से बस्तर मे आदिवासी स्वशासन व स्वराज लाने की लड़ाई है ।इस दिशा मे वनाधिकार और पेसा कानून दो मजबूत आधार स्तम्भ है।

अतः, इन दोनों नियम व कानूनों का सही क्रियान्वयन ही इस दिशा मे पहला कदम है।

मंच के संयोजक विजेंद्र ने कहा कि बस्तर क्षेत्र के वनों मे विभाग द्वारा कूप कटाई की योजना और इस हेतु निशानदेही चिंता का विषय है।

वन आश्रित समुदायों की सहमति के बिना यह आपराधिक है, और उनके साथ विश्वासघात है ।

इस दिशा मे मंच ने तय किया कि सम्मिलित रूप से ग्रामसभाओं को जागरूक किया जाएगा कि अपने अधिकार क्षेत्र के जंगलों के संरक्षण व संवर्धन मे सक्रियता से भाग ले।

बैठक के अंत मे मंच ने सभी कार्यकर्ताओं को सामुदायिक वनअधिकार दाखिल करने और ग्रामसभाओं को मजबूत बनाने के लिए यथासंभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया।

बैठक मे पचास से अधिक युवा कार्यकर्ता उपस्थित थे।

बैठक का संचालन युवा आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता अनुभव शोरी ने किया।

मंच के प्रतिनिधिमंडल ने बाद मे बस्तर कमिश्नर श्री श्याम धावड़े से मुलाकात कर उन्हें जमीनी परिस्थितियों से अवगत करा कर, क्रियान्वयन की बाधाओं पर संज्ञान लेने का निवेदन किया।

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