मनीष कौशिक मोहला
मोहला मानपुर :—नक्सली संगठन में प्रेस कमांडर की भूमिका निभाने वाले माओवादी ने सरेंडर कर दिया. माओवादी कमांडर के साथ उसकी पत्नी ने भी आत्मसमर्पण किया. नक्सली दंपत्ति ने आईटीबीपी और मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी की पुलिस के सामने हथियार डाले. सरेंडर करने वाले प्रेस कमांडर पर पुलिस ने 5 लाख का इनाम घोषित कर रखा था. सरेंडर करने वाले पति पत्नी नक्सली हिंसा और बिना विचारधारा की चल रही लड़ाई से ऊब चुके थे.नक्सली कमांडर ने पत्नी के साथ किया सरेंडर: सरेंडर करने वाले नक्सलियों के प्रेस कमांडर तुलावी ऊर्फ मलिंग लंबे वक्त से नक्सलियों के साथ जुड़ा रहा. 37 साल का मलिंग वामपंथी उग्रवाद समूह के प्रेस इकाई का काम देखता है. मलिंग की पत्नी भी कई सालों से नक्सल संगठन से जुड़ी रही है. दोनों के सरेंडर करने से मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में माओवादियों को तगड़ा झटका लगा है. नक्सल पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर लगातार नक्सली मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
कमांडर का सरेंडर
दोनों नक्सली 15 से 16 साल से नक्सल संगठन से जुड़े रहे हैं. सरेंडर करने वाले पुवन तुलावी मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी के मदनवाड़ा थाना इलाके के दोरदे गांव का रहने वाला है. तुलावी की पत्नी बीजापुर के भैरमगढ की रहने वाली है. फोर्स के बढ़ते दबाव के चलते दोनों ने सरेंडर किया है- यशपाल सिंह, एसपी, मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी
कौन हैं सरेंडर करने वाला कमांडर: नक्सली कमांडर तुलावी माओवादियों के प्रेस इकाई का हेड रहा है. तुलावी ऊर्फ मलिंग साल 2008 से माओवादी संगठन से जुड़ा रहा है. नक्सलियों की ओर से प्रेस रिलीज जारी करना और पंपलेट बनाने का काम करता था. नक्सली कमांडर तुलावी साल 2013 से लेकर 2019 के बीच में माड़ डिविजन यानि अबूझमाड़ में शिक्षक के रुप में किया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक तुलावी को 2016 में माओवादियों के क्षेत्र समिति सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया. तुलावी को संगठन की ओर से मीडिया में बयान जारी करने के लिए 2020 से माड़ डिवीजन प्रेस यूनिट कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया है.
पायम ओयम पर था 5 लाख का इनाम: पुलिस के मुताबिक कमांडर मलिंग की पत्नी पायम ओयम पर पर भी पांच लाख का इनाम घोषित था. 27 साल की पायम ओयम भी लंबे वक्त से नक्सली संगठन के लिए काम कर रहा थी. कमांडर की पत्नी बीजापुर जिले की रहने वाली है. पायम साल 2011 से माओवादियों के इंद्रावती एरिया कमेटी के साथ जुड़ी रही है. नक्सलियों के लगातार सरेंडर किए जाने से माओवादी संगठन पूरी तरह से छत्तीसगढ़ में बैकफुट पर आ गया है.एंटी नक्सल ऑपरेशन: बस्तर में माओवादियों के खात्मे के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है. एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान फोर्स लगातार जंगलों में सर्चिंग के लिए निकलती है. सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान फोर्स नक्सलियों के सेफ जोन माने जाने वाले इलाकों में पहुंचती है.लोन वर्राटू, पूर्ना नारकोम: नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए सरकार ने दो बड़ी योजनाएं चला रखी हैं. एक का नाम लोन वर्राटू योजना है तो दूसरे का नाम पूर्ना नारकोम है. नक्सलियों के पुनर्वास के लिए चलाए गए दोनों स्कीम से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में माओवादी हथियार डाल रहे हैं. नक्सलियों को जीवन यापन के लिए नकद राशि से लेकर घर और जमीन तक देने का इंतजाम सरकार ने किया है.नक्सल इलाकों में पुलिस कैंप: विकास के काम में तेजी लाने और नक्सलियों पर दबाव बढ़ाने की रणनीति फोर्स अपना रही है. इसी कड़ी में नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस के कैंप स्थापित किए जा रहे हैं. पुलिस कैंपों के जरिए विकास के कामों में जहां तेजी आ रही वहीं ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ी है. पुलिस कैंपों के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को गांव में पहुंचाया जा रहा है. पीडीएस का राशन गांव के आखिरी छोर तक पहुंच रहा है.2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का वादा: गृहमंत्री अमित शाह ने अपने छत्तीसगढ़ दौरे पर कहा था कि हम देश से नक्सलवाद को खत्म कर दम लेंगे. शाह ने कहा था कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. प्रदेश के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी दावा किया है कि तय समय सीमा के भीतर नक्सलवाद खत्म हो जाएगा. सरेंडर करने वाले नक्सिलयों को राज्य शासन की ओर से हर महीने 10 हजार की राशि भी दी जाएगी.