कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल को माओवादियों का समर्थन, ज़ारी किया प्रेस नोट,,,,,,,,,,,,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल को माओवादियों का समर्थन, ज़ारी किया प्रेस नोट,,,,,,,,,,,,,,,

दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

रायपुर :::::::::छग कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा आगामी 22 अगस्त से किये जाने वाले अनिश्चितकालीन हड़ताल को माओवादियों ने अपना समर्थन दिया है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी ने प्रेस नोट ज़ारी कर कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन करने की अपील की है।

विकल्प नामक प्रवक्ता द्वारा जारी किए गए इस प्रेस नोट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की ओर से अपनी जायज मांगों के लिए आगामी 22 अगस्त से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल का हमारी कमेटी दिल से समर्थन करती है, और मांगों को मानने तक हड़ताल को समाप्त न करने, आंदोलन को जारी रखने का आह्वान करती है।

राज्य के सभी कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों से आह्वान है कि उक्त अनिश्चितकालीन हड़ताल में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले। इसके साथ ही प्रेस विज्ञप्ति में राज्य के तमाम मजदूर संगठनों, किसान संगठनों, जनता एवं जनवादियों, मानवाधिकार संगठनों से उक्त हड़ताल को सफल बनाने लिए यथासंभव मदद करने की अपील की गई है।

कर्मचारियों की मांगों को ठहराया जायज़
प्रेस विज्ञप्ति में कर्मचारियों की मांगों को जायज़ ठहराते हुए फेडरेशन का आह्वाहन करते हुए कहा कि वह हड़ताल को तोड़ने, हड़तालियों को दिग्भ्रमित करने, नेताओं में फूट डालने, लालच देने, नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी देने की सरकारी कोशिशों को नाकाम करें और हड़तालियों का हौसला बुलंद रखे।

*जोनल कमेटी आप लोगों की मांगों को जायज ठहराती है। समान काम के लिए समान वेतन के उसूल के अनुसार भी केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ते की मांग न्यायसम्मत है *

केंद्र की भाजपा सरकार को बनाये निशाना,,,,

विज्ञप्ति में माओवादियों द्वारा केंद्र सरकार को भी निशाना बनाने की बात कही गयी है।

विज्ञप्ति में केंद्र, राज्य सरकारें चूंकि देशी, विदेशी कारपोरेट घरानों एवं साम्राज्यवादी वित्तीय संस्थाओं जैसे आइएमएफ और विश्व बैंक के हित में एवं उनकी शर्तों पर ही सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के वेतन-भत्तों का निर्धारण कर रही हैं, इसलिए देशी, विदेशी कारपोरेट घरानों सहित साम्राज्यवादी वित्तीय संस्थाओं, केंद्र की ब्राह्मणीय हिंदुत्व फांसीवादी भाजपा सरकार को अपने आंदोलन का निशाना बनाए।

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