समय रहते बाल विवाह को रोकने के लिए सभी पक्ष आए सामने,,,
,,,,,,,,तेजनारायण सिंह की रिपोर्ट,,,,,
बीजापुर कलेक्टर श्री राजेन्द्र कुमार कटारा के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सामाजिक बुराई बाल विवाह को लेकर जिले में विधिक जागरूकता हेतु प्रचार.प्रसार किया जा रहा है, इसके साथ ही समस्त समाज प्रमुखों का एक दिवसीय संवेदीकरण बैठक का आयोजन कर बाल विवाह नही कराने संबंधी अपील भी किया गया है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई नहीं है अपितु कानूनन अपराध भी है विवाह हेतु लडके की उम्र 21 वर्ष तथा लडकी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है देश में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर.वधु एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती, यहां तक की विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। कोई भी व्यक्ति जो जानबूझ कर बाल विवाह कराने में अपना योगदान देकर कानून का उल्लघन करता है उसे 2 वर्ष के लिए कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो की 1 लाख रूपये तक का हो सकता है जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बताया गया कि कानून के अनुसार यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नही करते है तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते हैं। बाल विवाह जीवन के लिए अभिशाप है, बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु.मृत्यु दर एवं मातृ.मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया है, इस दिवस को बडी संख्या में विवाह संपन्न होते है, अतएवं अन्य दिवसों के साथ .साथ विशेष रूप से अक्षय तृतीया को निगरानी रखने की आवश्यकता है कि जिले में कहीं भी बाल विवाह न हों। इसके लिए जिले वासियों से जिला प्रशासन का अनुरोध है, कि विवाह पूर्व विवाह की निर्धारित आयु का सत्यापन अनिवार्य रूप से कर लें। कार्यक्रम वक्त पर विवाह को रोकने से परिवार, पडोसी एवं अन्य पक्षों में प्रतिष्ठा धूमिल होने की बात सामने आती है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए समय रहते कार्यवाही करना जरूरी है। इस हेतु सामाजिक चेतना की आवश्यकता है। इसकी जानकारी आप 1098 चाईल्ड हेल्प लाइन पर, जिला बाल संरक्षण ईकाई महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्राम पंचायत स्तर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, वार्ड स्तर पर प्रतिनिधियों एवं स्व सहायता समूह के सदस्यों, राजीव युवा मितान के सदस्यों, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति, शिक्षक, आंगनबाडी कार्यकर्ता, मितानीन, कोटवार, स्थानीय स्तर पर कार्यरत स्वैच्छिक संगठन, बीजादूतीर स्वयंसेवक, पास के थानों में महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचना दिया जा सकता है I
बाल विवाह से गंभीर स्थिति निर्मित-
महिला एवं बाल विकास विभाग के रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि बाल विवाह के बाद शिशु मृत्यु, मातृ मृत्यु जैसे हालात निर्मित होना तय है इसके साथ ही बाल विवाह के बाद जन्मे संतानों में कुपोषण की सबसे ज्यादा शिकायत है, इससे सामाजिक हिंसा के हालात भी बनने की आशंका बढ़ रही है।