*कलेक्टर-एसपी ने ली जिले के समाज प्रमुख, गायता,पटेल के साथ बैठक,बैठक में सामाजिक सौहार्द एवं शांति स्थापित करने हुई खुली परिचर्चा,सरपंच,समाज प्रमुख,गायता,पटेल,पुजारी ने शांति व्यवस्था बनाये रखने और हिंसा को बढ़ावा न देने की ली शपथ,धर्मांतरण मामले में असमाजिक तत्वों की हमले से एसपी के सिर पर लगी थी चोट*,,,,,,,,,*दीपक मरकाम की रिपोर्ट*
नारायणपुर::::::::::: विगत दिवस जिले में सामाजिक सदभाव को बिगाड़ने एवं अप्रिय घटना के मद्देनजर कलेक्टर श्री अजीत वसंत की अध्यक्षता में जिले में शांति एवं सामाजिक सौहार्द विशय पर ग्राम पंचायतों के सरपंच, समाज प्रमुख, गायता, पटेल, पुजारी की महत्वपूर्ण बैठक आज आयोजित की गयी थी।
जिला एवं पुलिस प्रशासन के तत्वावधान में आडिटोरियम हाल में आयोजित इस बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों से आये सरपंच, समाज प्रमुख, गायता, पटेल, पुजारी द्वारा खुलकर अपने आदिम संस्कृति, रीति-रिवाज, मतांतरण, शांति सुरक्षा पर विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श किया गया।
समाज प्रमुखों ने इन मुद्दों पर क्रमवार अपने-अपने विचार रखे।
इनमें प्रलोभन या डरा-धमकाकर मतांतरण करने की प्रवृत्ति एवं इसके स्थायी समाधान और अपनी मूल संस्कृति, धर्म, रीति-रिवाज के संबंध में विस्तारपूर्वक बतलाया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी देवेश कुमार ध्रुव उपस्थित थे।
बैठक में कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने कहा कि हरेक घटना एक सीख देकर जाती है, जब ग्राम में 100 व्यक्ति रहते है, तो किसी न किसी मुददे पर विवाद संभव है, तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम व्यक्ति या समाज के स्तर पर संवाद के जरिये उसका हल निकालें।
क्योंकि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।
जाहिर है, हिंसा समस्या को कम करने की बजाय उसकों बढ़ावा देती है और अगर समाज में हम एक साथ रहते हैं, तो बातचीत के माध्यम से उसका समाधान निकालना बुद्धिमानी है।
इसी प्रकार संस्कृति को बचाना न केवल एक संवैधानिक दायित्व है, बल्कि हर व्यक्ति का कर्तव्य भी है। इसमें युवा वर्ग की भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी बनती है, जिन्हें हम कालेज अथवा स्कूल में देखना चाहते है, वे अगर कानून हाथ में लेंगे तो शांति और व्यवस्था बनाये रखने के लिए कार्यवाही अनिवार्य हो जाता है।
कुल मिलाकर संस्कृति की रक्षा करते हुए विकास को भी महत्व देना वर्तमान में जरूरी है। आज शासन द्वारा रोड कनेक्टीविटी, हास्पीटल, स्कूल, दूर-दराज के ग्रामों में निर्माण किये जा रहे हैं। इसका उददेश्य विकास की मुख्यधारा में ग्रामीणों को लाना है। कृशि, शिक्षा, रोड हमारी मूलभूत आवश्यकताएं है और आने वाली पीढ़ी का भविश्य इसी में सुरक्षित है।
तो क्यों न हम यह प्रण ले कि हम विकास की मुख्यधारा में चले, न कि कठिनाईयों भरी। हमारी लिए संस्कृतिक अस्मिता जरूरी है, तो विकास भी उतना जरूरी होना चाहिए। क्योंकि किसी भी अप्रिय घटना से जिले की छवि प्रभावित होती है। उन्होंने उपस्थितितों से आग्रह किया कि गांव का माहौल खराब करने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना तत्काल प्रशासन को देवें।