आंदोलन की समाप्ति के बाद कर्मचारियों में उभर रही नाराजगी, फेडरेशन के अध्यक्ष ने की ये भावुक अपील,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,

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आंदोलन की समाप्ति के बाद कर्मचारियों में उभर रही नाराजगी, फेडरेशन के अध्यक्ष ने की ये भावुक अपील,,,, दीपक मरकाम की रिपोर्ट,,,,

रायपुर:::::: छत्तीसगढ़ में पहली बार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ राजपत्रित अधिकारियों के 105 संगठन 12 दिन तक हड़ताल पर रहे। पहली बार राजस्व के साथ-साथ न्यायालयों में भी कामकाज प्रभावित हुआ। हड़ताल के बारहवें दिन राज्य सरकार के प्रवक्ता कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की मध्यस्थता में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा जो शर्तें तय की गई थीं, उस पर सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ। हालांकि, आंदोलन समाप्ति के बाद कर्मचारियों की नाराजगी उभर रही है। इसे लेकर फेडरेशन के अध्यक्ष कमल वर्मा ने सभी कर्मचारियों से भावुक अपील की है।

‘छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले पहली बार 105 संगठन एकजुट होकर 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा भत्ते के लिए 12 दिनों तक हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों की एकता का ही प्रभाव है कि सभी सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप रहा। लोगों की परेशानी को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों से काम पर लौट आने की अपील की। साथ ही, मुख्य सचिव के साथ चर्चा करने की बात कही।

मुख्य सचिव अमिताभ जैन के साथ संसदीय सचिव विकास उपाध्याय की मौजूदगी में चर्चा हुई। इसमें सभी संगठन के प्रांताध्यक्ष और संयोजकों के साथ बैठक के बाद जो शर्तें तय की गई थीं, उन्हें मुख्य सचिव को बताया गया। इनमें 6 प्रतिशत महंगाई भत्ते का एरियर्स जीपीएफ खाते में जमा करने, दिवाली तक 3 प्रतिशत डीए का ऐलान और 2016 से लंबित गृह भाड़ा भत्ते के लिए कमेटी बनाने की मांगें शामिल है। यह ऐसी मांग है, जो 2016 के बाद से गायब थी। इसे फेडरेशन ने पुनर्जीवित किया।

जहां तक कर्मचारियों की नाराजगी की बात है। जेएन पांडेय स्कूल में जब सभी प्रांतीय अध्यक्षों, संभागीय संयोजकों और जिला अध्यक्ष/संयोजकों की बैठक चल रही थी, तब मैंने अपनी ओर से यह पक्ष रखा था कि यदि संगठन को मेरे नेतृत्व में कोई कमी नजर आती है तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। सभी संगठन मिलकर नया नेतृत्व चुन सकते हैं। उस समय सभी संगठन के सदस्यों ने कहा था कि वे मेरे नेतृत्व से संतुष्ट हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से कोई भी निर्णय लेने के बजाय कोर कमेटी के फैसले को महत्वपूर्ण माना।

राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जब कृषि मंत्री रविंद्र चौबे जी से बातचीत हुई तो उन्हीं शर्तों को उनके समक्ष रखा गया। कृषि मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री से बातचीत की गई। इसके बाद सभी शर्तों को स्वीकार करते हुए काम पर लौटने की अपील की गई। इस दौरान फेडरेशन के संरक्षक सुभाष मिश्रा भी साथ थे। जो भी फैसला लिया गया, उसकी कृषि मंत्री की मौजूदगी में इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया में लाइव प्रसारण हुआ, जिससे सभी कर्मचारी साथी उसे देख-सुन सकें।

मेरी सभी कर्मचारी साथियों से अपील है कि कर्मचारियों के साथ-साथ लोगों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है। कमल वर्मा अकेले फेडरेशन नहीं है, बल्कि हर एक कर्मचारी से मिलकर फेडरेशन बना है। सभी कर्मचारी संगठन के प्रांताध्यक्ष, संभागीय संयोजक, जिलाध्यक्ष कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के रूप में बैठक में शामिल रहे हैं।

इस आंदोलन की चार प्रमुख बातें हैं, जो फिर से मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। 2018 से डीए के एरियर्स का उल्लेख नहीं होता था। फेडरेशन ने एक साल का एरियर्स लेकर आगामी डीए से संबंधित आदेश के लिए रास्ता खोला है। दिवाली पूर्व डीए का किस्त जारी होने से सभी कर्मचारियों को भारतीय सेवा के अधिकारियों के समान डीए मिलेगा। 2016 के बाद से गृह भाड़ा भत्ते का मुद्दा विलुप्त हो चुका था। इसे पुनर्जीवित किया गया। तृतीय चरण के आंदोलन के समय 5 दिन और 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल के 12 दिन का ब्रेक इन सर्विस के बजाय अवकाश स्वीकृत होकर समायोजित होगा।

मैं सभी कर्मचारी साथियों से यह अपील करता हूं कि वे धैर्य रखें। कर्मचारियों के व्यापक हित को ध्यान में रखकर सबने मिल-जुलकर यह निर्णय लिया है। शासन की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, लेकिन कर्मचारी हित की सारी मांगें पूरी होंगी। महंगाई व गृह भाड़ा भत्ते के लिए आंदोलन को सफल बनाने के लिए मैं सभी को धन्यवाद देता हूं।

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